sad shayari : मुझे माफ कर मेरे हमसफर तुझे चाहना मेरी भूल थी

emotional shayari

मुझे माफ कर मेरे हमसफर
तुझे चाहना मेरी भूल थी,
किसी राह पर जो उठे नजर
तूझे देखना मेरी भूल थी
कोई नजम हो या कोई गजल
कहीं रात हो या कहीं सेहर
वो गली गली वो शहर शहर
तूझे ढूंढना मेरी भूल थी
मेरे गम की कोई दुआ नहीं
मुझे तूझसा कोई मिला नहीं
मेरा कोई तेरे सिवा नहीं
ये सोचना मेरी भूल थी।


वफा का जिक्र चला तो मुझ ख्याल आया
वो नक्श मेरा वफा का मिटा चुका होगा
जो मेरी आंखो को आईना कहां करता था
वो मेरा चेहना भी कब का भुला चुका होगा।।


तुम मोहब्बत को खेल कहते हो
हमने बर्बाद जिंदगी कर ली…!!