bewafa shayari : तेरी इब्तीदा कोई और है तेरी इंतीहा कोई और है

teri ibtida

तेरी इब्तीदा कोई और है
तेरी इंतीहा कोई और है
तेरी बात हमसे हुई तो क्या
तेरी सोच मै कोई और है
हमे शौक था बड़ी देर से
कि तेरे सारीक-ए-सफर रहें
तेरे साथ चल कि खबर हुई तेरा रास्ता कोई और है
तुझे फिक्र है कि बदल दिया मुझे गर्दिश-ए-शब-ओ-रोजने
कभी खुद से भी तो सवाल कर
तू वही है या कोई और है।


जानकर तुझे ये समझ में आता है
कि दगा कोई अपना ही देता है,
चाहते है जिसे जिंदगी से ज्यादा
वो ही अकसर बेवफाई कर जाता है।।

4 दर्द भरी शायरी : वो तो दीवाने थे जो तन्हा छोड़ गये