बेवफा शायरी : अब जिद पे आ गये हो तो ये काम भी करो

ummid

अब जिद पे आ गये हो तो ये काम भी करो
खुद को हमारे नाम से बदनाम भी करो,
ये क्या की इन रूतों में भी कैद-ए-अना की जिद
बरखा बहार में कोई कोहराम भी करो।

आशिक हो अगर तो सब्र के जिन्दान को तोड़ दो
अहल-ए-जहां की साजिशें नकाम भी करो,
तर्क-ए-ताल्लूक मातम बहुत हुआ
तुम थक गये हो आओ कुछ आराम भी करो।।


कोई लम्हा भी कभी लौट कर नहीं आया
वह शख्स ऐसा गया फिर नजर नहीं आया
वफा की दास्तां में रास्ता नहीं मिला कोई
सिवाये गर्द-ए-सफर हमसफर नहीं आया।

किसी चिराग ने पूछी नहीं खबर मेरी
कोई भी फूल मेरे नाम पर नहीं आया
पलट कर आने लगे शाम के परिंदे भी
हमारा सुबह का भूला मगर नहीं आया।

हमें यकीन है अमजद वह वादा खिलाफ
ये उम्र कैसे कटेगी अगर नहीं आया….।।

बेवफाई की ये शायरी आपके दिल को झकजोर देगी

बेवफा शायरी : अबकी यू दिल को सजा दी हमने उस की हर बात भुला दी हमने