How can an Government employee do political work
शासकीय वेतन लेने वाला कर्मचारी राजनीतिक कार्य कैसे कर सकता है ?
मुख्यमंत्री को जनता नहीं, केवल संघ-भाजपा की चिंता
देहरादून। How can an Government employee do political work उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस की गढ़वाल मण्डल मीडिया प्रभारी गरिमा मेहरा दसौनी ने प्रशासन की ओर से जारी शासनादेश पर बड़ा हमला बोला है। दसोनी ने कहा के शासनादेश नियमों को ताक पर रखकर जारी किया गया है।
दसोनी ने बताया कि उत्तर प्रदेश कार्य बंटवारा नियम 1975 जो कि उत्तराखंड में भी लागू है उसमें मुख्यमंत्री और राज्यपाल के अधिकार और शक्तियां बताई गई है। इसके तहत आयोग के तथा संवैधानिक पदों के लिए मुख्यमंत्री को नियुक्तियां करने का अधिकार प्राप्त है, मगर मुख्यमंत्री के निजी स्टाफ की नियुक्ति सचिवालय प्रशासन जिसे (एसएडी) यानी कि सचिवालय एडमिनिस्ट्रेटिव डिपार्टमेंट कहते हैं वह करता है।
इन कर्मचारियों के वेतन और सुविधाएं राजकीय कोष से दी जाती है। कांग्रेस पार्टी मांग करती है की मुख्यमंत्री बताएं कि रूल ऑफ बिजनेस, जिसमें राज्यपाल व मुख्यमंत्री की शक्तियों व अधिकारों का स्वरूप स्पष्ट किया गया है उसमें तो कहीं ऐसा प्रावधान नहीं है कि आप किसी स्टाफ से राजनेतिक दल का काम करवाएं।
दसौनी ने कहा कि मुद्दा यह है कि शासकीय-वेतन प्राप्त करने वाला कर्मचारी राजनीतिक कार्य कैसे कर सकता है ? किस नियम,उपनियम, अधिकार के तहत यह शासनादेश जारी हुआ है। दसौनी ने कहा कि अगर पद शासकीय है तो काम भी शासकीय ही होना चाहिए।
शासनादेश में स्टाफ को जो कार्य आवंटित किए गए हैं उसमें मुख्यतः संख्या 1 से संख्या 3 पर जो स्टाफ है उन्हें संघ और भाजपा के कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय स्थापित करने का काम दिया गया है।
दसौनी ने कहा कि सरकारी खजाने से वेतन लेने वाला कैसे संघ और भाजपा का काम कर सकता है। दसौनी ने पूछा कि मुख्यमंत्री की चिंताओं में उत्तराखंड व उत्तराखंडियों की चिंताएं नहीं है केवल संघ, भाजपा एवम् अपने विधानसभा क्षेत्र की चिंताएं हैं।
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