मौलाना रहमानी का निधन

Death of maulana rahmani

Death of maulana rahmani

मौलाना के जाने से कौम बेसहारा हो गईः काज़ी
रहमानी 30 के संस्थापक भी थे मौलाना
दार-ए-अरकम में कराई गई दुआ

देहरादून। Death of maulana rahmani ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के राष्ट्रीय महासचिव और इमारत-ए-शरिया बिहार, झारखंड और ओड़िशा के अमीर-ए-शरियत वली रहमानी का शनिवार की दोपहर निधन हो गया।

मौलाना के इंतकाल से देश भर के उलेमाओं-मौलानाओं-शिक्षाविद्वो व मुस्लिम समाज में शोक की लहर दौड़ गई।कोरोना वायरस की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद से मौलाना का पटना में इलाज चल रहा था। 78 वर्षीय रहमानी के निधन पर देहरादून के मौलानाओं ने गहरा दुख जताया।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य व काजी दारूल कज़ा मुफित सलीम अहमद कासमी ने मौलाना वली रहमानी के इंतकाल पर शोक व्यक्त करते हुए कहा की मौलाना के इंतकाल से कौम बेसहारा हो गई है। भारत के मुसलमानों ने को मौलाना के इंतकाल से जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई होना मुशिकल है।

मौलाना के निधन से पूरा देश शोगवार है। शहर काजी मौलाना मौहम्मद अहमद कासमी ने भी शोक जताते हुए कहा कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार के पेरोकार मौलाना वली का दुनिया से चले जाना बड़ा खसारा है।

मदरसा एसोसिएशन के प्रदेश सचिव मौहम्मद शाह नजर ने मौलाना वली के इंतकाल पर गहरा दुख जताया, उन्होने कहा कि मौलाना के इंतकाल से बोर्ड के साथ ही कौम को भी बड़ा नुकसान हुआ है।

शिक्षा को लेकर उनकी पैरोकारी सदैव याद रखी जाएगी

उन्होंने बताया कि वह रहमानी 30 के संस्थापक भी थे, जो एक ऐसा मंच है, जो छात्रों को आधुनिक शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में उच्च शिक्षा और राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करता है। इस संस्थान से हर साल 100 से अधिक छात्रों का चयन किया जाता है।

उनका कहना है कि शिक्षा को लेकर उनकी पैरोकारी सदैव याद रखी जाएगी। मौलाना वली रहमानी के पिता मिन्नतुल्लाह रहमानी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के संस्थापक महासचिव रहे। उनके दादा मौलाना मुहम्मद अली मुंगेरी प्रसिद्ध इस्लामी शिक्षण संस्थान नदवतुल उलमा लखनऊ के संस्थापक रहे।

मौलाना सैयद मुहम्मद वली रहमानी भारतीय इस्लाम के विद्वान और शिक्षक थे। 1974 से 1996 तक बिहार विधान परिषद के सदस्य के रूप में कार्य किया। वह अपने पिता हजरत मौलाना मिन्नतुल्लाह रहमानी की मृत्यु के बाद से रहमानी खानकाह के वर्तमान सज्जादा नशीन और जामिया रहमानी मुंगेर के संरक्षक थे।

मदरसा दार-ए-अरकम में मौलाना के लिये दुआ-ए-मगफिरत कराई गई। इस मौके पर मौलाना अब्दुल वाजिद, हाफिज सुलेमान, कारी फरहान, हाफिज आबिद, कारी फिरोज आदि मौजूद रहे।

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