प्रशिक्षण कार्यक्रम में होमस्टे चलाने की बारीकियां सीख रहे ग्रामीण

Villagers learning nuances of running a homestay
पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर।

Villagers learning nuances of running a homestay

आईएचएम की ओर से उत्तरकाशी के ग्राम भुक्की में चल रहा पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम

देहरादून। Villagers learning nuances of running a homestay ग्रामीणों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट (आईएचएम) की ओर से सिक्योर हिमालय परियोजना गंगोत्री भू-क्षेत्र के तहत पर्यटन विभाग व सेल्फ हेल्प संस्था के सहयोग से प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है।

पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में ग्रामीणों को होमस्टे चलाने के लिए हाउसकीपिंग, स्वागत सत्कार और मैनेजमेंट की बारीकियां सिखाई जा रही है। जिससे ग्रामीण अपने होमस्टे का बेहतरीन ढंग से संचालन कर पर्यटकों को आरामदायक सुविधा उपलब्ध करा सकें।

उत्तरकाशी के भटवारी ब्लॉक के भुक्की गांव में चले रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम के तीसरे दिन विशेषज्ञों ने होमस्टे चलाने की बारीकियां सिखाने के साथ पर्यटकों का स्वागत करने के गुर भी सिखाए। आईएचएम के प्रचार्य डॉ. डॉ. जगदीप खन्ना ने बताया कि गणतव्य आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड में पर्यटन के क्षेत्र में होमस्टे को प्रोत्साहित करना है। ताकि पर्यटन के क्षेत्र में होमस्टे को वृहद स्तर पर प्रसारित किया जा सके।

कौशल प्रशिक्षण प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया जाएगा

प्रशिक्षण कार्यक्रम में आईएचएम देहरादून के सहायक प्रशिक्षक सुनील पंत और कामालेश रॉय 8 गांवों के 25 होमस्टे लाभार्थियों को होमस्टे चलाने की बारीकियां सीखा रहे हैं। 14 अगस्त को प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा होने के बाद सभी प्रशिक्षित लाभार्थियों को आईएचएम की ओर से पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार के कौशल प्रशिक्षण प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया जाएगा।

इससे पहले भी संस्थान की ओर से इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। जिससे उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में रोजगार के अपार संभावनाओं को तलाशा जा सके और ग्रामीणों के लिए रोजगार के अवसर सृजित किए जा सके।

पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर का कहना है कि उत्तराखंड के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र अपनी नैसर्गिक छटा एवं सांस्कृतिक विरासत को अपने में समेटे हुये हैं। इन इलाकों में बने होमस्टे पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

पर्यटकों को उचित आवास एवं खान-पान की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए यह प्रशिक्षण कार्यक्रम महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। विशेषज्ञों की देखरेख में चलाए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम से ग्रामीणों को सीधा लाभ मिलेगा।

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