साम्प्रदायिक तनाव की घटनाओं के खिलाफ एकजुट होने की जरूरत

Need to unite against incidents of communal tension
सम्मेलन में मंचासीन विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी।

Need to unite against incidents of communal tension

सामाजिक सद्भाव के लिए एकजुटता पर दिया बल
दर्जनभर सामाजिक संगठनों और कई राजनीतिक दलों की ओर से आयोजित किया गया सम्मेलन

देहरादून। Need to unite against incidents of communal tension दून के कई संगठनों और राजनीतिक दलों ने राज्य में बढ़ती साम्प्रदायिक तनाव की घटनाओं पर चिन्ता जताते हुए इन घटनाओं के खिलाफ एकजुट होने की जरूरत बताई है।

रविवार को प्रेस क्लब में संविधान और सामाजिक सद्भाव पर आयोजित इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने आशंका जताई कि कुछ लोग राज्य में साम्प्रदायिक तनाव फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। सम्मेलन में इस तरह की घटनाओं को रोकने का प्रयास करने की जरूरत बताई गई।

वक्ताओं का कहना था कि पिछले कुछ वर्षों में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के कई बार प्रयास हुए लेकिन ऐसा प्रयास करने वाले संगठनों के खिलाफ सख्त कार्यवाही नहीं की गई, इसलिए अब जनता की तरफ से आवाज उठाना जरूरी हो गया है।

सम्मेलन की अध्यक्षता कर रही गांधी जी की अनुयायी और कौसानी स्थित अनाशक्ति आश्रम की संचालिका राधा बहन ने कहा कि साम्प्रदायिक ताकतें देश के लिए खतरा बन रही हैं। उन्होंने कहा कि अब उत्तराखंड में भी ऐसी ताकतें मजबूत हो रही हैं और इस पर्वतीय राज्य में भी घृणा की बीज बोने के प्रयास किये जा रहे हैं।

शांति और अहिंसा को ध्यान सबसे पहले रखा जाना चाहिए

उन्हें लगता था कि बढ़ती साम्प्रदायिकता के बीच उत्तराखंड में लोग चुप बैठे हुए हैं, लेकिन आज के सम्मेलन को देखकर पता चला कि लोग इन घटनाओं में पैनी नजर रखे हुए हैं और बहुत कुछ सोच रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि हम जो भी कदम उठाएं, उसमें शांति और अहिंसा को ध्यान सबसे पहले रखा जाना चाहिए।

पर्यावरणविद् प्रो. रवि चोपड़ा ने संविधान की रक्षा और सद्भाव के हिमायती लोगों की एक शांति दल बनाने की जरूरत बताई, जो साम्प्रदायिक दंगे जैसी किसी भी स्थिति में मौके पर पहुंचकर शांतिपूर्ण स्थिति बनाने के प्रयास करे।

उन्होंने कहा कि इस सेना का संपर्क आम लोगों से भी होना चाहिए और प्रशासनिक अधिकारियों से भी। सम्मेलन का संचालन करते हुए चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल ने कहा कि कुछ लोग उत्तराखंड में यह धारणा बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि एक समुदाय राज्य के लिए खतरा है।

उन्होंने लोहारी से देकर देहरादून तक लोगों के रहने की व्यवस्था किये बिना उन्हें बेघर किये जाने पर नाराजगी जताई। कहा कि लोगों को हटाना यदि जरूरी है तो पहले उनके रहने की व्यवस्था की जानी चाहिए।

कवि और अंबेडकर आंदोलन के कार्यकर्ता राजेश पाल ने कहा कि आरएसएस का इरादा 2025 में संघ की 100 वर्षगांठ तक देश में संविधान को पूरी तरह से खत्म करके देश को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने का है।

बचाने के लिए एकजुट होना जरूरी

भारत ज्ञान विज्ञान समिति के विजय भट्ट ने कहा कि आजादी के बाद हमने विकास और भाईचारे के मामले में जो कुछ हासिल किया था, वह सब दांव पर लगा हुआ है। इसे बचाने के लिए एकजुट होना जरूरी है।

महिला मंच की कमला पंत ने कहा कि वर्ग विशेष पर हमला करने की प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही। इसे रोकने के लिए एक सामाजिक आंदोलन की जरूरत है। उन्होंने राजनीतिक स्थिति को बदलने और शांतिदल स्थापित करने की जरूरत बताई।

उन्होंने घृणा का जवाब परस्पर सद्भाव से देने की जरूरत बताई। सीपीआई के समर भंडारी ने कहा कि संविधान, लोकतंत्र और सद्भाव पर हमले बढ़ गये हैं। इस स्थिति को अब ज्यादा दिन चुप बैठकर देखना संभव नहीं है।

उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार हर मोर्चे पर फेल होने के बाद अब साम्प्रदायिकता को हवा दे रही है। नागरिकता संविधान के आधार पर तय होगी, न किस संप्रदाय के आधार पर।

सम्मेलन में सपा के डॉ. एसएन सचान, सीपीएम के सुरेन्द्र सजवाण, पूर्व गढ़वाल कमिश्नर एसएस पांगती, उमा भट्ट, चेतना आंदोलन की सुनीता देवी, चंद्रा भंडारी, जगमोहन मेहंदीरत्ता, चौ. ओमवीर सिंह, जबर सिंह, थॉमस सेन आदि ने भी संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए सभी को एक मंच पर आने की जरूरत बताई। जनगीत गायक सतीश धौलाखंडी, त्रिलोचन भट्ट, हिमांशु चौहान ने साम्प्रदायित सद्भाव को समर्पित जनगीत गाया।

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