पंडित दयानंद शास्त्री
हमारे देश में सभी त्योहार बड़ी धूम धाम से मनाए जाते हैं, फिर वह चाहे दिवाली हो, होली हो या महाशिवरात्रि। इस साल 24 फरवरी को महाशिवरात्रि है। ऐसे में सभी श्रद्धालु धूमधाम से शिवरात्रि की तैयारी में लगे हुए हैं। देशभर के सभी शिव मंदिरों में धूम मची हुई है। विशेष बात यह है कि इस बार महाशिवरात्रि विशेष संयोग में मनाई जाएगी। इस बार महाशिवरात्रि शुक्रवार की है जिस दिन पूरे तीन विशेष योग बने हैं। दो दिन पड़ने वाले महाशिवरात्रि का पर्व इस बार स्वार्थ सिद्ध एवं सिद्ध योग पड़ने से खास होगा। चतुर्दशी तिथि 24 फरवरी की रात्रि साढ़े नौ बजे प्रारंभ होगी जो 25 फरवरी को रात्रि सवा नौ बजे तक रहेगी।
महाशिवरात्रि का पर्व रात्रि व्यापिनी होने पर विशेष माना जाता है। ऐसे में 25 फरवरी की रात्रि में चतुर्दशी तिथि न होने से 24 फरवरी को महाशिवरात्रि का पर्व शास्त्र सम्मत माना और मनाया जायेगा । महाशिवरात्रि को अद्ध रात्रि के समय ब्रह्माजी के अंश से शिवलिंग का प्राकट हुआ था, इसलिए रात्रि व्यापिनी चतुर्दशी का अधिक महत्व होता है। इस वर्ष सबसे विशेष बात यह है कि दोनों दिन सिद्ध योग पड़ रहे हैं। 24 फरवरी को सर्वार्थ सिद्ध योग तथा 25 फरवरी को सिद्ध योग पड़ रहा है। 24 फरवरी को चतुर्दशी तिथि शुरू होने के साथ ही भद्रा भी लग जाएगी लेकिन भद्रा पाताल लोक में होने के वजह से महाभिषेक में कोई बाधा नहीं होगी बल्कि यह अत्यंत शुभ रहेगा। महाशिवरात्रि का व्रत कर रात्रि में ओम नमः शिवाय का जाप करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होगी।
आमतौर पर महाशिवरात्रि का पूजन एक दिन पहले रात्रि से ही शुरू हो जाती है। इस बार विशेष संयोग होने से शिव पूजन 24 फरवरी को सुबह जल्दी साढ़े चार बजे के बाद से शुरू होगी। उदयकाल होने से इसे 24 फरवरी को मनाया जाएगा। पौराणिक मान्यता के अनुसार जो व्यक्ति वर्ष भर कोई व्रत उपवास नहीं रखता है और वह मात्र महाशिवरात्रि का व्रत रखता है तो उसे पूरे वर्ष के व्रतों का पुण्य प्राप्त होगा। इससे पहले 30 वर्ष पहले महाशिवरात्रि दो दिन मनाई गई थी। शिवरात्रि पर चार प्रहर की पूजा अत्यंत फलदायी होती है। शिव रात्रि पर चार प्रहर की पूजा से सभी प्रकार की कामनाएं पूर्ण होती है। इस बार महाशिवरात्रि के दिन श्रवण नक्षत्र का साक्षी सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत योग एवं त्रयोदशी प्रदोष का योग बना है जो शिवभक्तों के लिए बेहद फलदायी होगा। यह संयोग बेहद मुश्किल से आता है। इसके पीछे मान्यता है कि इस संयोग में भगवान शिव को रूद्राभिषेक के पाठ से प्रसन्नता मिलती है।
इससे पहले श्रवण नक्षत्र के साथ शिवरात्रि का योग वर्ष 2006, 2007, 2009 एवं 2015 में बना था। दो वर्ष बाद शिव भक्तों को यह विशेष अवसर मिला है। इसके चलते इस शिवरात्रि श्रद्धालुओं के लिए स्पेशल रहेगी। इस दिन नीलकंठ की पूजा-भक्ति अत्यंत पफलदायी होती है। यहीं नहीं बल्कि घर में सुख, शांति एंव समृद्धि बनी रहती है। इन पदार्थों से करें भगवान का महाभिषेक भगवान को गाय के दूध से अभिषेक करने पर पुत्र प्राप्ति की मनोकामना पूर्ण होती है। गन्ने के रस से लक्ष्मी प्राप्ति, दही से पशु आदि की प्राप्ति, घी से असाध्य रोगों से मुक्ति, शर्करा मिश्रित जल से विद्या बुद्धि, कुश मिश्रित जल से रोगों की शांति, शहद से धन प्राप्ति, सरसों के तेल से महाभिषेक करने से शत्रु का नाश होता है। इस दिन व्रत रखकर शिवलिंग पर बेलपत्री, काला धतूरा चढ़ाने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही भगवान शिव के सम्मुख कुबेर मंत्र के जाप से भी धन और ऐश्वर्य मिलती है। इस दिन शिव भक्त भोलेनाथ की बेलपत्र, धतूरा, फूल, पंचमेवा आदि से पूजन करते है। उपवास रखते हुए दान-पुण्य भी अनुकूल फलदायी होता है।