परेशानी का समाधान बुद्धि और धैर्य से ही मुमकिन

Mahabharat story
परेशानी का समाधान बुद्धि और धैर्य से ही मुमकिन है Mahabharat story

Mahabharat story एक बार की घटना हमारे दिय गये शीर्षक “परेशानी का समाधान बुद्धि और धैर्य से ही मुमकिन है” सही प्रतीत होती है। महाभारत काल के भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव यक्ष से अनुमति लिए बिना ही सरोवर का जल पीने का पात्र होने की वजह से मृत्यु का ग्रास बन गए। कारण यह था कि सरोवर के यक्ष ने उन लोगों से कुछ प्रश्न किए थे, लेकिन उन्होंने इस ओर ध्यान नहीं दिया था और यक्ष का कोपभाजन बन गए।

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इतने में युधिष्ठिर आए और उनसे भी यक्ष ने प्रश्न किया ,जिनके युधिष्टर ने सही उत्तर दे दिए, तब यक्ष ने प्रसन्न होकर कहा – तुम जल पीने के अधिकारी हो मेरी इच्छा है कि तुम्हारे चारों भाइयों में से किसी एक को जीवन दान दूं बोलो मैं किसे पुनर्जीवित करूं प्रश्न बड़ा ही विचित्र था युधिष्टर को चारों भाइयों से एक समान प्यार था, इसलिए एक क्षण भी सोचे बिना वह बोली एक श्रेष्ठ आप उनको ही जीवन दान दें।

यक्ष हंस पड़ा और बोला धर्मराज कौरवो ने युद्ध में भीम की गदा और अर्जुन का गांडीव बड़ा उपयोगी सिद्ध होगा। इन दो सगे भाइयों को छोड़कर नकुल का जीवन क्यों चाहते हो धर्मराज बोले एक श्रेष्ठ हम पांचों भ्राता ही माताओं के स्नेह चिन्ह है। माता कुंती के पुत्रों में से मैं श्रेष्ठ हूं किंतु माधुरी मां के तो दोनों ही पुत्र मर चुके हैं अतः यदि एक के ही जीवन का प्रश्न हो तो माधुरी मां के अनुकूल का ही पुनर्जीवन महत्वपूर्ण है।

यक्ष ने सुना तो भाव विहल हो बोले युधिष्टर तुम धर्म तत्व के ज्ञाता हो इसलिए मैं चारों भाइयों को जीवन देता हूं इसलिए हमारी आज की यह कहानी हमें सीख देती है कि परेशानी और मुश्किल में धैर्य और बुद्धि का काम से काम लेना चाहिए तभी उस समस्या का समाधान हो सकता है।

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