क्या आप लाख के कीड़े का उपयोग जानते हैं Lakh ke kide ka upyog

Lakh ke kide ka upyog
क्या आप लाख के कीड़े का उपयोग जानते हैं Lakh ke kide ka upyog

हिना

महाभारत काल में पांडवों के लिए कौरवों द्वारा बनाए गए लाक्षागृह की घटना को कौन नहीं जानता ?  वह लाक्षागृह वास्तव में लाख के कीड़े (Lakh ke kide ka upyog) द्वारा स्रावित चिपचिपे पदार्थ जिसे लाख कहते हैं, से बनाया गया था क्योंकि यह लाख अत्यंत ज्वलनशील पदार्थ होता है और इसी कारण पांडवों का लाक्षागृह में भस्म कर देने  की योजना बनाई गई थी।

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अबुल फजल ने अपनी पुस्तक आइन-ए-अकबरी में भारत में विकसित लाख उद्योग का वर्णन किया था। लाख का कीड़ा कहलाए जाने वाले यह कीट विविध प्रकार के वृक्षों जैसे बबूल,बेर, पलाश, खैर, पीपल, बरगद, शीशम आदि पर पाए जाते हैं। यह छोटे-छोटे कीट (नर-1.2 मिली मीटर, मादा- 4.0 मिली मीटर) वृक्षों की डालों पर रेंगते हुए सुई के समान मुखांगों को कोमल भागों में भेदकर रसपान करते हैं।

Lakh ke kade ka upyog

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मादाएं विशेषता शरीर के पिछले भाग में स्थित ग्रंथियों से एक चिपचिपा पदार्थ स्रावित करती हैं और अंत में बाहर निकलें चिपचिपे पदार्थ के सूख जाने पर माता उसी के भीतर बंद हो जाती है और वही रहकर यह प्रजनन करती है। इसी  चिपचिपे पदार्थ को वृक्षों से एकत्रित कर शोधन के बाद व्यापारिक लाख को प्राप्त किया जाता है। प्रकृति द्वारा प्रदान किए जाने वाले इस महत्वपूर्ण पदार्थ का विस्तृत कुटीर उद्योग स्थापित हो जाता है।  जिसे लाख संवर्धन उद्योग कहा जाता है।

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर क्षेत्र Lakh ke kade के उद्योग के लिए प्रसिद्ध है

Lakh ke kade ka upyog

विश्व में कुल उत्पादन का  लगभग  50-60% भारत में  तथा उसका 50%  छोटा नागपुर क्षेत्र में प्राप्त होता है। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर क्षेत्र  इस उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। भारत में 15000 मीट्रिक टन लाख प्रति वर्ष  उत्पन्न होता है। उद्योग के महत्व को देखते हुए 1925 में इंडियन रिसर्च इंस्टिट्यूट रांची में स्थापित किया गया था।  लाख के प्रमुख उपयोगो में ग्रामोफोन रिकॉर्ड, चूड़ियां, खिलौने पानी के जहाजों के तली में लगाया जाना है।

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