दोबारा होने वाली पटवारी भर्ती परीक्षा की निष्पक्षता संदेह के घेरे में : गणेश गोदियाल

Fairness of Patwari recruitment exam to be held again in doubt

Fairness of Patwari recruitment exam to be held again in doubt

देहरादून। Fairness of Patwari recruitment exam to be held again in doubtप्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने राज्य सरकार द्वारा पटवारी भर्ती परीक्षा की दुबारा तिथि घोषित किये जाने पर सवाल उठाते हुए एक बयान जारी करते हुए कहा कि प्रदेश में पटवारी भर्ती में हुए घोटाले तथा परीक्षा पत्र लीक होने का खुलासा होने बाद भाजपा सरकार द्वारा राज्य के बेरोजगार युवाओं को गुमराह करते हुए भर्ती परीक्षा निरस्त कर दी गई थी।

परन्तु अब संज्ञान में आया है कि आयोग द्वारा पटवारी भर्ती परीक्षा की तारीखें दुबारा तय कर दी गई हैं तथा जो तारीखें तय की गयी उसके अनुसार फरवरी के इसी माह की 12 तारीख को परीक्षा निर्धारित की गई है।

पटवारी भर्ती परीक्षा घोटाला प्रकरण में यह तथ्य सामने आये थे कि उस समय जो प्रश्न पत्र लीक हुए थे वो 100 नम्बर का प्रश्न पत्र लीक ना होकर 280 प्रश्नों का एक प्रश्न बैंक लीक हुआ तथा जिन लोगों ने 280 प्रश्नों का वो प्रश्न बैंक खरीद कर उसके आधार पर तैयारी की थी अभी तक उन लोगों के नाम सार्वजनिक नहीं हुए हैं।

यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि उन लोगों को परीक्षा से अलग किया गया है अथवा नहीं किया गया। परन्तु सरकार द्वारा दुबारा पटवारी भर्ती की जो परीक्षाएं करवाई जा रही है ये उसी 280 प्रश्नों के प्रश्न बैंक के आधार पर की जा रही हैं जो लीक हुआ था ऐसे में भर्ती परीक्षा की निष्पक्षता एवं एवं पारदर्शिता पर प्रश्नचिन्ह लगता है।

गणेश गोदियाल ने कहा कि सरकार की ओर से उन 280 प्रश्न बैंक को भी अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है औ न ही खरीदने वालों का नाम सार्वजनिक किया गया है, ऐसे में दुबारा होने वाली पटवारी भर्ती परीक्षा की निष्पक्षता सन्देह के घेरे में है।

280 प्रश्न बैंक के प्रश्नों को इस परीक्षा में शामिल नहीं किया गया : Ganesh Godiyal

सरकार के कोई भी जवाबदेह पदों पर बैठे हुए लोग सामने आकर इसका स्पष्टीकरण नहीं दे पा रहे हैं ऐसे में यह आवश्यक है कि सरकार इस परीक्षा को आयोजित करने से पहले इस बात को स्पष्ठ करे कि उस 280 प्रश्न बैंक के प्रश्नों को इस परीक्षा में शामिल नहीं किया गया है।

280 प्रश्नों के बैंक को खरीदने वाले अभ्यर्थियों और इंस्टीट्यूशन या सम्बंधित जो भी लोग हों उनको सार्वजनिक किया जाना चाहिए। 280 प्रश्नों के उस प्रश्न बैंक के प्रश्नों को कम से कम सार्वजनिक जरूर किया जाना चाहिए।

जब तक ये स्पष्ट नहीं होता कि पारदर्शी एवं निष्पक्ष परीक्षा कराई जा रही है तथा सरकार के स्तर से पारदर्शी परीक्षा के पुख्ता इंतजामात किये गये हैं तब तक ऐसी परीक्षाएं हमेशा सन्देह के घेरे में रहेगी जिसका खामियाजा हमारे युवाओं को भविष्य में भी भुगतना पड़ेगा तथा प्रत्येक परीक्षा पर जांच की तलवार लटकी रहेगी।

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