जानिए भारतीय संस्कृति में गौ माता कितनी अहम Cow
हम सभी जानते हैं कि हिन्दू धर्म में गौ माता (Cow Mata) की पूजा की जाती है ,उसे पावित्र मानने की कई वजह है। आज हम कुछ ऐसी बाते आपको बताने जा रहे है। गाय भारतीय संस्कृति की आधारशिला है। वैदिक संस्कृति की आश्चर्य भूमि यज्ञ है, परंतु यज्ञ का विधान गौ के माध्यम के बिना संभव नहीं है।
प्रत्येक जगह में गोघृत, गोदुग्ध आदि की आवश्यकता पड़ती है। अंतर यज्ञ के संपादन के लिए गौ एक आवश्यक साधन है। वेदों में विशेषकर ऋग्वेद में गायों की भूरि-भूरि प्रशंसा की गई है। भारद्वाज ऋषि ने गायों को देवाधिदेव का साक्षात प्रतिनिधि माना है। अष्टादश पुराण और संस्कृत महाकाव्य में गाय की महिमा तथा गौ सेवा के महत्व का प्रतिपादन किया गया है।
पशुओं में Cow सबसे अधिक आदर तथा सम्मान का पात्र समझी जाती है
यह तो प्रसिद्ध ही है कि सम्राट दिलीप ने नंदिनी की सेवा करके रघु जैसे- यशस्वी पुत्र को प्राप्त किया था। ऐसी मान्यता है की प्राचीन काल में गाय और ब्राह्मणों की रक्षा में अपने प्राणों की बलि देने वाले व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति हुआ करते थे। आज भी भारतीय समाज में पशुओं में गाय सबसे अधिक आदर तथा सम्मान का पात्र समझी जाती है, इसीलिए इसे गौ माता कहा जाता है। गौ भक्त लोग आज भी गायों की तन, मन और धन से सेवा करना पुण्य का कार्य समझते हैं।
आर्थिक दृष्टि से भी गाय का कुछ कम महत्व नहीं है। आधुनिक कृषि संबंधी यंत्रों के पश्चात भी भारतीय कृषि का प्रधान साधन बैल ही समझा जाता है। हल के अभाव में खेती का करना प्राय असंभव है। अंतर है धार्मिक तथा आर्थिक दोनों ही दृष्टियों से गाय की महिमा अत्यंत अधिक है। हालाँकि इतने युगों बाद आज भी गौ माता की मान्यता बरकरार है, और हमेशा रहनी चाहिए।