सहकारी बैंकों को नहीं मिली लेन -देन की अनुमति

मुंबई,। 500 और 1000 रुपये के नोटों को सरकार द्वारा चलन से बाहर करने के बाद से रिजर्व बैंक ने जिला मध्यवर्ती बैंकों में जमा इन नोटों को लेने से इंकार कर दिया है। मुंबई बैंक, ठाणे जिला सहकारी बैंक व पुणे जिला नागरी सहकारी बैंक समेत सभी जिला बैंकों के ग्राहकों पर आरबीआई के निर्णय से पहाड़ टूट पड़ा । पहले से ही दिक्कतों का सामना कर रही ठाणे जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक की मुश्किलें बढ़ती दिखाई दे रही हैं। रिजर्व बैंक के इस कदम से हजारों ग्राहकों को नुकसान हो रहा है, जिसके कारण सोमवार से बैंक की शाखाओं को बंद करने का फैसला सहकारी बैंकों के निदेशकों द्वारा लिया गया है। गौरतलब है कि प्रत्येक जिला में एक मध्यवर्ती जिला सहकारी बैंक खोली गयी है। पालघर जिला विभाजन से पूर्व ठाणे में ठाणे जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक अपना कार्य कर रही है। ठाणे ग्रामीण और पालघर जिला के 15 तहसील के लिए ठाणे जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक टीडीसी ही एक बैंक है। महाराष्ट्र में 33 जिला मध्यवर्ती बैंक हैं। केंद्र सरकार के 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों का चलन बंद करने के बाद अचानक सरकार द्वारा जिला मध्यवर्ती बैंक के जमा इन नोटों को स्वीकार करने इंकार किया है।

रिजर्व बैंक के इस निर्णय से इनको जबर्दस्त झटका लगा है। ठाणे जिला मध्यवर्ती बैंक के संचालक राजेश पाटिल ने कहा कि पालघर और ठाणे ग्रामीण के 80 प्रतिशत ग्रामीण नागरिकों का खाता जिला मध्यवर्ती बैंक में है। नागरी सहकारी बैंक, नागरी पतसंस्था, मच्छीमार सोसायटी, जंगल कामगार सोसायटी, मजदूर कामगार सहकारी सोसायटी, शेतीसेवा सहकारी सोसायटी आदि का खाता इसी बैंक में है, जिसका लेन-देन बंद पड़ा हुआ है जिसके कारण गंभीर संकट खड़ा हो गया है। इस विषम परिस्थितयों में काम नहीं करने की स्थिति में सोमवार से बंद रखने की बात व्यवस्थापकों द्वारा कही जा रही है। बैंक ने सोसायटियों को कर्ज दिया है। किसानों को 400 करोड़ रुपये कर्ज दिया गया है। नोटों को स्वीकार करने से इंकार करने की स्थिति में दिए गए कर्जों की वसूली पर गंभीर सवाल खड़ा कर दिए है । बैंक में 6 हजार करोड़ रुपये पड़ा है। ग्रामीण क्षेत्रों में भारी संख्या में किसानों का खाता जिला मध्यवर्ती बैंक में है। इसके साथ ही जिले के सभी ग्रामपंचायत के खाते जिला मध्यवर्ती बैंक में हैं, जिसके कारण ग्राम पंचायत के प्रतिदिन के कार्य और विकास कार्यों पर बुरा असर होता दिखाई दे रहा है। घरों में रखे बड़े नोटों को जमा करना एक गंभीर प्रश्न बन गया है।