गैरसैंण पर कांग्रेस कर रही है राजनीतिक ढोंग : अग्रवाल

Congress is making political pretense on Gairsain

देहरादून। Congress is making political pretense on Gairsain लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति का सिलसिला शुरू हो गया है। कांग्रेस और भाजपा एक दुसरे पर आरोप लगाने का कोई मौका नही छोड रहे है। जिससे प्रदेश में राजनीतिक माहोल गर्माने लगा है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा द्वारा 27 फरवरी को गैरसैंण में प्रतीकात्मक विधानसभा सत्र आयोजित करने की घोषणा पर संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने पलटवार करते हुए कहा कि गैरसैंण को लेकर कांग्रेस सिर्फ राजनीतिक ड्रामा करती रही है।

प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि काल्पनिक विधानसभा सत्र आयोजित करने वालों को चाहिए कि वह अपना एक काल्पनिक मुख्यमंत्री भी चुन लें इससे क्या फर्क पड़ता है। उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस यथार्थ में तो कहीं दिखती नहीं है कल्पनाओं में रहकर ही अगर कांग्रेस खुश है अच्छी बात है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस प्रारंभिक दौर से लेकर आज तक गैरसैंण को लेकर कभी गंभीर नहीं रही है, अगर वह गंभीर रही होती तो वह खुद भी गैरसैंण को राज्य की स्थाई राजधानी घोषित कर सकती थी। लेकिन जब भाजपा ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर दिया तो वह स्थाई राजधानी की बात करके लोगों को भड़काने में लगी हुई है।

उनके इस बयान पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि इस तरह की बातें वह सत्ता के अहंकार में कर रहे हैं उन्होंने तो भाजपा का वह वक्त भी देखा है जब उसके दो सांसद होते थे। सत्ता सदैव किसकी रही है आज उनके पास सत्ता है तो वह हमेशा नहीं रहेगी।

गैरसैंण में बजट सत्र आयोजित न कराये जाने पर इससे पूर्व हरीश रावत ने भी कहा था कि जिन्हें पहाड़ की सर्दी से डर लगता है उन्हें पहाड़ की राजनीति छोड़ कर चले जाना चाहिए। उधर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भटृ का कहना है कि कांग्रेस गैरसैंण को लेकर नाटक कर रही है।

यही नहीं कुछ कांग्रेसी नेताओं द्वारा लोकसभा चुनाव न लड़ने की बात कहकर अनिच्छा जताने पर कांग्रेस व भाजपा के नेता वार-प्रतिवार करते रहे हैं। महेंद्र भटृ का कहना है कि जब हार सुनिश्चित दिख रही हो तो हारने के लिए कौन चुनाव लड़ेगा। हार से डर के कारण ही बड़े नेता चुनाव लड़ने से बच रहे हैं। भटृ के इस बयान पर प्रीतम सिंह का कहना है कि वह खुद कितनी बार चुनाव हारे हैं उन्हें यह भी याद रखना चाहिए। हार जीत तो चुनाव का हिस्सा है क्या उन्होंने हारने के बाद राजनीति छोड़ दी।

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