मुद्दे उठा पाने में फिसड्डी साबित हो रही कांग्रेस!

Congress can not raise issues
Congress can not raise issues

पार्टी के भीतर खत्म होने का नाम नहीं ले रही गुटबाजी

देहरादून। Congress can not raise issues प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल होने के बावजूद भी कांग्रेस मुद्दे उठाने में जिस तरह से फिसड्डी साबित हो रही है उससे अब प्रदेश की जनता के मन में यह सवाल कौंध रहे हैं कि कांग्रेस क्या केन्द्र व राज्य की भाजपा सरकार के लिए मित्र विपक्ष बनी हुई है।

विपक्षी दल कांग्रेस को भाजपा की सरकार को घेरने के कईं मुद्दे मिले किन्तु एक को भी वो ठीक से नही उठा पाई और ना ही आक्रामक होकर सत्ताधारी दल पर हमला कर पायी। हैरानी की बात यह है कि मुद्दा चाहे केन्द्र की सरकार का रहा हो या प्रदेश की सरकार का उसको लेकर पार्टी फिसड्डी ही साबित हुई है।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के भीतर गुटबंदी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। टिहरी जिले में एक दलित युवक की हत्या के मामले में गर्माई सियासत के दौरान कांग्रेस की अंदरूनी सियासत भी सतह पर आ गई।

उक्त युवक के परिजनों से मिलने के लिए कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं ने एक साथ जाने के बजाय अलग-अलग जाना मुनासिब समझा। इस बीच सोमवार को प्रदेश कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी के खिलाफ प्रदेशभर में पुतला फूंकने का कार्यक्रम रखा।

प्रीतम सिंह असहज दिखाने से बच नहीं सके

वहीं प्रदेश संगठन के सोमवार को इस कार्यक्रम से ऐन पहले पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत दलित युवक की हत्या पर प्रायश्चित करते हुए गांधी पार्क में मौन उपवास पर बैठे। उनके कार्यक्रम की अचानक जानकारी मिलने पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह वहां तब पहुंचे, जब कार्यक्रम खत्म होने को था।

प्रीतम सिंह इस कार्यक्रम से खुद को असहज दिखाने से बच नहीं सके। वहीं नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने हल्द्वानी में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को मौन उपवास कार्यक्रम के लिए निशाने पर लेने में देर नहीं लगाई।

लेकिन हैरानी की बात यह है कि नेता प्रतिपक्ष होने के बावजूद इंदिरा टिहरी जिले के नैनबाग में एक दलित युवक की हत्या के मामले कोई सक्रियता या पीड़ित परिवार की सहायता से संबंधित कोई बयान या सरकार को घेरने तक की बात नहीं की।

इससे यहा यह सवाल उठ रहा है कि क्या नेता प्रतिपक्ष सत्ताधारी पार्टी को यूहीं वाक ओवर देती रहेगी। वहीं नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने अभी तक भी पीड़ित परिवार के घर जाने की जहमत नहीं उठाई है। यही नहीं अभी तक प्रदेश सरकार से पीड़ित परिवाार के लिए सहायता को लेकर भी उनकी तरफ से कोई आवाज नहीं उठाई गई है।

कांग्रेसी समूहों में बंटे दिखते रहे

जबकि दलित युवक की हत्या के विरोध में कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने भी सोमवार शाम राजभवन में राज्यपाल से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। सोमवार को दिनभर एक ही मुद्दे पर कांग्रेसी समूहों में बंटे दिखते रहे।

नेता प्रतिपक्ष की टिप्पणी ने कांग्रेस की अंदरूनी सियासत को गर्मा दिया है। यह गुटबाजी उस समय और भी गर्मा गई जब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने पीसीपी में निष्क्रिय पदाधिकारियों को बाहर करने संबंधी बयान दे दिया।

प्रीतम के इस बयान को भी हरीश गुट के पदाधिकारियों की ओर देखकर ही माना जा रहा है। संभावना जताई जा रही है कि यदि पीसीसी के गठन में हरीश गुट को दरकिनार किया गया तो कांग्रेस की गुटबाजी और ज्यादा विस्फोटक हो सकती है।

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