दून बना आपराधिक गतिविधियों का केन्द्र

Criminal activities in Doon
Criminal activities in Doon

पुलिस के सामने एक के बाद एक चुनौती

देहरादून। Criminal activities in Doon प्रदेश की राजधानी में दिनप्रति दिन अपराधों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। हमेशा देखने में आया है कि सूबे के बाहर के लोग यहां अपराधिक गतिविधियों का केन्द्र बने हुए है। जिसका खुलासा पूर्व में ही हो चुका है।

बावजूद इसके पुलिस का सत्यापन अभियान मात्र खानापूर्ति बना हुआ है। अभी हाल में ही हुए एक महिला के हत्याकांड ने फिर इस बात की कलई खोल दी है कि पश्चिमी उत्तरप्रदेश सहित अन्य राज्यों के अपराधी आपराधिक गतिविधियों को अन्जाम देने के लिए देवभूमि का इस्तेमाल कर यहां के प्राकृतिक आवोहवा में अपराधों का जहर घोलने का काम कर रहे है।

इसके अलावा पूर्व में भी चोरी लूट डकैतियों के जितने भी खुलासे हुए उनमें पश्चिमी उत्तरप्रदेश के गिरोह सामने आए। जिससे साफ होता है कि पड़ोसी राज्य के चोर व लूट करने वाले गिरोह के निशाने पर पूरी तरह से उत्तराखण्ड आ चुका है। आपराधिक वारदातो के बाद पुलिस सत्यापन अभियान चलाने की बात कहकर चुप्पी साध लेती है।

नकेल कसना पुलिस के लिए चुनौती

यह भी पुलिस के सामने आ चुका है कि चोर गिरोह बाहर से आकर यहां मिस्त्री या मैकेनिक जैसा छोटा मोटे का काम करते हुए कुछ समय तक बंद मकानों की रैकी करते रहते है और मौका पाकर अपनी गतिविधियों को अन्जाम देकर फरार हो जाते है। पुलिस उसके बाद दून में लकीरे खींचती रह जाती है।

किन्तु इस पर यदि पूरी तरह से अमल किया जाता तो शायद प्रदेश की राजधानी देहरादून आपराधिक गतिविधियों का केन्द्र न बनती। जब तक पुलिस पूरे दून में सत्यापन अभियान चलाकर एक एक बस्ती का हिसाब अपने पास नही रख लेती तब तक अपराधी गतिविधियों पर नकेल कसना पुलिस के लिए चुनौती बना रहेगा।

उपर से इन दिनों साइबर अपराध के मामलों में भी लगातार बढौतरी हो रही है। जिसने पुलिस की नाक में तो दम किया हुआ है। साईबर मामलों में पुलिस को अभी और पकड़ बनाने की जरूरत महसूस की जा रही है।

बदलते परिवेश में अपराधों के तौर तरीकों में भी बदलाव आ रहा है किन्तु पुलिस हर मामले में पूराने ढर्रे पर काम करती नजर आ रही है। जिसके चलते आपराधिक गतिविधियों पर लगाम लगाना पुलिस के लिए आज भी चुनौती बना हुआ है।

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