जानिए कान के मैल के रंग से कैसे पता चलता है सेहत के बारे में?

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न्यूयॉर्क। कानों का मैल एक ऐसी चीज है जिस पर कभी कोई अहमियत नहीं देता, हालंकि इससे इंसान की सेहत के बारे में बेहद अहम जानकारी प्राप्त हो सकती है। वेबसाईट barenaturalhealth.com की रिपोर्ट के अनुसार विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आपके कान का मैल गहरा पीले रंग का गीला और चिपचिपा सा है तो इसका मतलब है कि यह बिल्कुल सेहतमंद की निशानी है। नार्मल मनुष्यों के कान का मैल इस प्रकार होता है।

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बच्चों में हल्के पीले रंग का मैल स्वास्थ्य का प्रतीक है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि बच्चो के कानों में बड़ो के मुकाबले ज्यादा मैला जमा होता है। अगर मैल ग्रे रंग का है तो इसका अर्थ है कि कान की स्वयं सफाई हो रही है। इसमें परेशान होने की बात नहीं लेकिन अगर गे्र रंग का मैल गीला और कान में दर्द महसूस हो तो फिर यह एक्जिमा Eczema की निशानी होती है। इस हालत में तुरंत डाॅक्टर से सलाह करनी चाहिए।
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अगर मैल का रंग काला है और चिपचिपाहट वाला है तो इसका मतलब है कि आपके कानों में पसीना आ रहा है। हालंाकि इस तरह का मैल भी सेहतमंद मनुष्यों के कानो में होता है। अगर मैल काले रंग का लेकिन इसकी परत मोटी है तो ऐसे हालात में भी कानो की सफाई से ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं। ऐसे हालात में सफाई तुरंत कर लेनी चाहिए वरना कान बंद होने और परेशानी बढ़ने की संभावना होती है।
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सुखी, सफेद और छिलके जैसी हैत का मैल भी स्वास्थ्य का प्रतीक होता है। ऐसा मैल उन लोगों के कानो में बनता है जिन्हें पसीना आता है। मैल गीला और बहने वाला हो तो भी परेशान होने की जरूरत नहीं लेकिन अगर यह पीप की तरह का है तो फिर यह इंफेक्शन या ईयरड्रम में छेद की निशानी हो सकती है। ऐसे हालात में तुरंत डाॅक्टर से सम्पर्क करना चाहिए। अगर मैल में खून का कतरा हो तो यह निशानी चिंताजनक होती है। इसका अर्थ है कि ईयरड्रम में छेद भी हो सकता है। ऐसी हालत में भी तुरंत डाॅक्टर के पास जाना चाहिए।