अफगानिस्तान की धरती बड़ी दुर्लभ चीजों में समृद्ध है अफगानिस्तान के ठंडे क्षेत्रों में विशेष रूप से एक ऐसी नस्ल के कुत्ते पाये जाते हैं जिसे दुनिया। अफगान हाउंड (afghan Hound) नाम से और पाशतून ताषी सपी के नाम से पुकारते हैं। यूरप में यह अफगान कुत्ता बहुत लोकप्रिय है। अंग्रेज उसके दीवाने है, तो अफगान भी इसकी कद्र करते है।
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दिलचस्प बात यह है कि एक आम आदमी उसको दूर से देख ले तो उसे पहाड़ी बकरे और अफगान कुत्ते ताशी सपी में कोई अंतर दिखाई नहीं देगा। ताशी सपी के बारे विभिन्न परंपराएं मानी जाती हैं। अफगानों के अलावा कुछ यूरोपीय लोगो का दावा है कि यह इसी डॉग नस्ल है जो तूफान नूह में हजरत नूह के साथ नाव में सवार हुआ और तूफान बीत जाने के बाद जमीन पर आ गया था।
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जबकि कुछ शोधकर्ता कहते हैं कि ताशी सपी दरअसल सिकंदर महान के साथ अफगानिस्तान लाया गया और उसकी यहाँ नस्ल को परवान चढ़ाया गया। ताशी सपी एक फैंसी कुत्ता लगता है हालांकि उसे पहाड़ी क्षेत्रों और बर्फिली क्षेत्रों में शिकार के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अफगान ताशी सपी की चरवाहों के लिए काफी महत्व रखता है। यह उनके पशुओं की रक्षा करता है।
जब उनके झुंड किसी खूंखार दरिंदे से खतरा हो तो ताशी सपी उसे भांपकर इन जानवरों को एक जगह एकत्रित कर देता है ताकि अलग अलग होने की स्थिति में दरिन्दा इन का शिकार न कर पाये। जब तक झुंड का मालिक नहीं पहुँचता ताशी सपी बहुत चैकस होकर जानवरों की रक्षा करता है।
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ताशी सप्पी एक रोचक और अद्भुत कुत्ता है। उसकी गति न्यूनतम चालीस किलोमीटर प्रति घंटा है जबकि दुनिया में सबसे तेज घोड़ा 43 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से दौड़ता है। इसके दौड़ने और असामान्य कूद लगाने तथा दूर तक की नजर ऐसी हैं कि हर काश्तकार अफगान अपने इस कुत्ते का ख्याल बच्चों और पालतू जानवरों की तरह रखते है।