माउंट एवरेस्ट फतह करने जाएगा दिव्यांगजनों का पांच सदस्यीय दल

Aditya Mehta Foundation
-प्रशिक्षण शिविर में शामिल होने के लिए पहुंचते हुए दल के सदस्य।
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देहरादून। Aditya Mehta Foundation भारत को पैरा स्पोर्ट्स की दुनिया में एक महाशक्ति बनाने की दिशा में आदित्य मेहता फाउंडेशन (एएमएफ) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने संयुक्त रूप से दिव्यांगजनों को प्रशिक्षित करने की मुहिम चलाने का संकल्प लिया है।

आदित्य मेहता फाउंडेशन 2013 से दिव्यांजनों को अधिकार सम्पन्न एवं स्वावलंबी बनाने के लक्ष्य के साथ कार्य कर रहा है। दिव्यांग खिलाड़ियों को प्रोत्साहन करना भी फाउंडेशन के मुख्य लक्ष्यों में शामिल है। इस कड़ी में दिव्यांगजनों के एक दल को पर्वतारोहण का प्रशिक्षण देकर वर्ष 2020 में माउंट एवरेस्ट पर फतह करने का लक्ष्य रखा गया है।

रविवार को बीएसएफ महानिदेशक ने बद्रीनाथ में ने आदित्य मेहता फाउंडेशन और बीएसएफ इंस्टीट्यूट ऑफ एडवेंचर एंड एडवांस ट्रेनिंग के संयुक्त तत्वावधान में पांच पैरा-एथलीट दिव्यांगजनों के पर्वतारोहण प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ किया। दो महीने तक संचालित किए जाने वाले इस प्रशिक्षिण का आधार शिविर 10,500 फीट ऊंचाई पर स्थित है।

इस दौरान 12,500 फीट ऊंचाई तक प्रशिक्षण गतिविधियां की जाएंगी। पैरा-म्यूटेनियरिंग के लिए बीआईएएटी से सहयोग लिया जाएगा। आदित्य मेहता फाउंडेशन ने इस टीम में पहले से ही चार सदस्यों को एक साथ रखा है, जिनमें से सभी सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान हैं।

देश रक्षा की खातिर घायल होकर दिव्यांग हो गए थे

ये जवान देश रक्षा की खातिर घायल होकर दिव्यांग हो गए थे। टीम में अमर कुमार संतरा एक दृष्टिहीन विकलांग जवान जिन्होंने पैरा तैराकी में 1 स्वर्ण और 2 रजत जीते हैं। इसके अलावा एम वेंकटशैप को दुश्मन से मुकाबला करते समय पैर में गोली लग गई थी जिससे वह 65 फीसदी दिव्यांगता के साथ शारीरिक रूप से अक्षम हो गए।

अजय सिंह और जगन्नाथ भी अपनी ड्यूटी करते हुए दिव्यांगता के शिकार हो गए थे। आदित्य मेहता फाउंडेशन द्वारा 2020 में जापान के टोक्यो में आयोजित होने वाले पैरालाम्पिक्स खेलों में देश के 100 दिव्यांगज खिलाड़ियों की प्रशिक्षित टीम को शामिल करने के लिए भी कार्य किया जा रहा है।

इसके लिए फाउंडेशन और भारत के सीमा सुरक्षा बल के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। आदित्य मेहता फाउंडेशन के संस्थापक आदित्य मेहता ने कहा कि इसे विडम्बना ही कहा जा सकता है कि समाज में दिव्यांगता को हीन भावना के साथ देखा जाता है।

दिव्यांगजनों को भी आमजन की तरह से जीने का अधिकार

उन्होंने कहा कि दिव्यांगजनों को भी आमजन की तरह से जीने का अधिकार है। दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर और स्वाभिमान के साथ जीवन यापन करने कार्य के लिए एएमएफ पूरी तरह से संकल्परत है। उन्होंने कहा कि एक हादसे के बाद पैर की दिव्यांगता ने उन्हें चुनौतियों का सामना करना सिखाया और उन्हें दिव्यांगजनों के साथ कार्य करने की प्रेरणा मिली।

उनका कहना है कि दिव्यांगजनों को सिर्फ हौसलाअफजाई की जरूरत है वे अपनी जगह खुद बना सकते हैं और देश का नाम रोशन कर सकते हैं।

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