विज्ञापन आधुनिक युग में बहुत बड़ी व्यापारिक शक्ति

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Advertisement आधुनिक युग में बहुत बड़ी व्यापारिक शक्ति

विज्ञापन आधुनिक युग में बहुत बड़ी व्यापारिक शक्ति है। जो वस्तु को बेचने में अनुपम सहायता करती हैं। यह जरूरी नहीं है कि Advertisement किसी वस्तु की बिक्री के उद्देश्य से ही संबंधित हो। उसका उद्देश्य उपर्युक्त कर्मचारी उपलब्ध कराना और अन्य जनहित कार्य भी हो सकते हैं। यह सारे जगत की एक अनिवार्यता है। यह गैर व्यक्तिगत, मौखिक , दृष्टिगत प्रस्तुतीकरण है। जो लोगों के समूह को खुले रुप से अभिप्रेरित करता है।

विज्ञापन का संबंध व्यक्ति से नहीं होता बल्कि इसका संबंध वस्तु से होता है और वस्तु सदा ही किसी औद्योगिक संस्था से संबंधित होती है। विज्ञापन का मुख्य उद्देश्य बिक्री बढ़ाना होता है। ऐसी वस्तुएं जिनको लोग जानते तक नहीं विज्ञापन के माध्यम से लोगों को प्यारी होती दिखाई देती है। एक समय था जब चाय के नाम से भी कोई परिचित नहीं था, लेकिन विज्ञापन का चमत्कार देखिए कि आज चाय सर्वसाधारण की आवश्यकता बन गई है।

Advertisement द्वारा नए -नए ग्राहकों का ध्यानाकर्षण का काम होता है

हर गली, मोहल्ले और चौराहे पर चाय की छोटी बड़ी-दुकानें देखने को मिलते हैं। प्रातः बिस्तर से उठते ही चाय को लोग पीना चाहते हैं। विज्ञापन का उद्देश्य किसी विशेष वस्तु के संबंध में मांग उत्पन्न करना नहीं होता। किसी एक प्रकार की अनेक वस्तुओं का उत्पादन होता रहता है और उनकी परस्पर की प्रतियोगिताओं में अपना माल बेचने की समस्या उत्पादक के सामने सदा बनी रहती हैं। विज्ञापन द्वारा नए -नए ग्राहकों का ध्यानाकर्षण का काम होता है।




आज विज्ञापन केवल व्यापारिक अनिवार्यता ही नहीं ,बल्कि राजनीतिक ,सामाजिक धार्मिक और जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी यह अपनी उपयोगिता सिद्ध कर चुका है| विज्ञापन के जहां अनेक लाभ हैं वहां से हानियां भी हैं| इन पर किया गया खर्च उपभोक्ता को ही उठाना पड़ता है। इससे वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि हो जाती है। विज्ञापन का आकर्षण मनुष्य को अपनी चादर से बाहर पांव पसारने के लिए उकसाता है, जिसेमें वह कुछ बचत नहीं कर पाता। कई बार विज्ञापनों की चमक दमक ग्राहक को धोखे में डाल देती है और उसकी खून- पसीने की कमाई व्यर्थ चली जाती है। विज्ञापन में स्त्री की छवि को दिखाया जाता है यह उचित नही है।

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