स्वास्थ्य मंत्रा में सीखे वायु मुद्राएं

Vayu mudra
स्वास्थ्य मंत्रा में सीखे Vayu mudra

दोस्तों, ध्यान और व्यायाम में वायु का बहुत बड़ा रोल होता है। व्यायाम और रियाज़ करते हुए सांस लेने और छोड़ने पर ध्यान दिया जाता है तो वायु बहुत महत्वपूर्ण है हमारे साँस लेने के साथ ध्यान में भी। आज हम आपको वायु मुद्रा ( Vayu mudra ) के बारे में बताने जा रहे हैं।

वायु मुद्रा

शरीर के संदर्भ में वायु का अर्थ है वात दोष अर्थात यह मुद्रा शरीर में वायु को संतुलित करती है। इससे श्वास- वायु संबंधी रोग दूर होते हैं इसलिए इसे वायुमुद्रा कहते हैं।

इसे करने की विधि

  • सबसे पहले किसी भी ध्यानात्मक आसन में बैठ जाएं, ध्यान रहे मेरुदंड को सीधी रहे।
  • दोनों हाथों को घुटनों पर रख लें
  • धीरे से तर्जनी अंगुली को मोड़ें और अंगूठे की गद्दी पर रखें। अंगूठे को तर्जनी अंगुली पर रख लें।
  • बाकी सभी अंगुलियों को सीधा कर दें।

  इससे करते समय कुछ सावधानियां बरतें




  • ध्यान रखें कि आपका अंगूठा ठीक तर्जनी अंगुली पर ही हो।
  • अपने शरीर और मन को शांत रखिए| किसी भी प्रकार का तनाव ना हो। ऐसा करने से आप पर इसका थोड़ा बुरा प्रभाव हो सकता है।
इससे होने वाले फायदे




  • वायु मुद्रा शरीर के भीतर वायु को संतुलित रखती है।
  • वायु संबंधी दोषों जैसे जोड़ों में दर्द ,आमवात या साइटिका आदि को दूर करती हैं।
  • यह मुद्रा पार्किंसन नामक बीमारी और पोलियो के रोगी के लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद होती है।
  • भोजन करने के बाद यदि बेचैनी हो तो वायु मुद्रा करने से बहुत लाभ मिलता है।
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