शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मचारी आंदोलन की राह पर

Teacher and non-teaching staff

Teacher and non-teaching staff

शासन स्तर पर गठित समिति का विरोध शुरू

देहरादून। उत्तराखंड में केंद्रीय विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालय के शिक्षक और शिक्षणोत्तर कर्मचारी ( Teacher and non-teaching staff ) आंदोलन की राह पर हैं। दरअसल, राज्य सरकार अनुदान वाले इन महाविद्यालयों की करोड़ों की सहायता को लेकर विचार कर रही है।

शासन स्तर पर बकायदा इसके लिए एक समिति भी गठित की जा चुकी है, जो महाविद्यालयों की प्रशासनिक, वित्तीय और नियुक्ति से संबंधित सभी मामलों की रिपोर्ट तैयार करेगी। साथ ही ये समिति इन महाविद्यालयों को दिये जाने वाले अनुदान को लेकर भी अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी।

राज्य में हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय से संबंध 18 कॉलेजों के अनुदान को लेकर शासन स्तर पर समिति का गठन किया गया है। जिस पर विश्व विद्यालय में तैनात शिक्षक और शिक्षणोत्तर कर्मचारियों ने विरोध करना शुरू कर दिया है।

बता दें कि एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय साल 2009 में केंद्रीय विश्वविद्यालय बन गया था। जबकि इससे पहले सहायता प्राप्त कॉलेज यूपी स्टेट यूनिवर्सिटी एक्ट 1973 के तहत चलाए जा रहे थे। इसी एक्ट के तहत सहायता प्राप्त इन महाविद्यालयों को राज्य सरकार की तरफ से एक बड़ा बजट कर्मचारियों की तनख्वाह के लिए दिया जा रहा था।

राज्य सरकार अनुदान को लेकर पुनर्विचार करने में जुट गई

मगर अब अंब्रेला एक्ट आने के बाद राज्य सरकार इन्हें दिए जाने वाले अनुदान को लेकर पुनर्विचार करने में जुट गई है। बता दें कि राज्य सरकार ने अंब्रेला एक्ट के तहत महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में दखल बढ़ा दिया है।

सहायता प्राप्त महाविद्यालयों को लेकर विवाद तब बढ़ा जब राज्य सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों को महाविद्यालय यह कहकर खारिज करने लगे कि वह केंद्रीय विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं।

महाविद्यालयों के इस रवैया के बाद राज्य सरकार ने इसे लेकर एक कमेटी का गठन करवाया, ताकि इन महाविद्यालयों की प्रशासनिक नियुक्तियों, वित्तीय स्थितियों का फिर से आंकलन किया जा सके। बताया जा रहा है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय से संबद्ध होने के बाद अब राज्य को इन महाविद्यालयों को बजट देने का कोई प्रावधान नहीं है।

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