जानिए दूध से जुड़े कुछ मिथ्या और वास्तविकता

Some myths and reality related to milk
Some myths and reality related to milk

दूध एक पौष्टिक आहार है इसलिए लोग इसे पीते हैं। डॉक्टर भी इसे पीने की सलाह देते हैं। हम यह सुनते आए हैं कि दूध सेहत के लिए अच्छा होता है। इससे कैल्शियम की कमी दूर होती हैं, हड्डियां मजबूत होती हैं।

यह ही  नहीं इससे बने अन्य आहार जैसे दही, छाछ, घी, मक्खन और पनीर के भी बहुत फायदे हैं, लेकिन यह दुविधा हमेशा रहती है कि इनको प्रयोग कब कितना और किस समय किया जाए। आज हम दूध से जुड़े मिथ और वास्तविकता को आपके सामने बताने जा रहे हैं।

मिथ्या

अस्थमा के रोगी को दूध नहीं पीना चाहिए।

वास्तविकता

इसे सही नहीं कहा जा सकता। इस बारे में कोई वैज्ञानिक तथ्य नहीं है कि दूध पीने से बलगम अधिक बनने लगता है या अस्थमा के मरीजों को परेशानी होती है।

मिथ्या

सोया मिल्क ठीक नहीं है।



वास्तविकता

सोया मिल्क में भी भैंस या गाय के दूध की तरह तमाम लाभदायक पोषक तत्व होते हैं जैसे कैल्शियम विटामिन डी और प्रोटीन। सोया मिल्क का फायदा यह है कि इसमें कोलेस्ट्रॉल या सचुरेटेड फेट नहीं होता जबकि गाय या भैंस के दूध में यह तत्व पाए जाते हैं।

मिथ्या

दूध कैल्शियम का एकलौता स्रोत है।

वास्तविकता

दूधी कैल्शियम का एकलौता और बेहतरीन स्रोत है। असलियत यह है कि दूध में मौजूद कैल्शियम को हमारे शरीर बमुश्किल सोख पाता है। हरी सब्जियां जैसे पालक, सोयाबीन, फलियाँ आदि में काफी मात्रा में कैल्शियम होता है।

मिथ्या

दूध से मुंहासे होते हैं।



वास्तविकता

मुंहासों का दूध से दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं है। दूसरे फैक्टर जैसे कि स्किन टाइप, जेनेटिक्स हारमोंस और प्रदूषण आदि मुहासे के मुख्य कारण है, इसलिए दूध से मुंहासे नहीं होते।

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