कैदियों को पैरोल पर रिहा करना हो सकता है खतरनाक

Releasing prisoners on parole can be dangerous

Releasing prisoners on parole can be dangerous

देहरादून। Releasing prisoners on parole can be dangerous कोरोना संक्रमण के चलते एहतियातन उत्तराखंड की जेलों में बंद 7 साल से कम सजायाफ्ता और विचाराधीन कैदियों को पैरोल पर रिहा करने का निर्णय एक बार फिर 17 मई को आ सकता है। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश अनुसार हाई पावर कमिटी की बैठक 17 मई सोमवार 4 बजे निर्धारित की गई है।

इस हाई पावर कमेटी द्वारा ही यह निर्णय लिया जा सकता है कि 7 साल से कम सजा वाले अंडर ट्रायल कितने कैदियों को पेरोल या जमानत दी जा सकती है। उत्तराखंड जेल आईजी एपी अंशुमान ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर कुछ दिन पहले ही राज्य के अलग-अलग जिलों से 46 कैदियों को पेरोल पर रिहा किया जा चुका है।

हालांकि, अभी और कितनी संख्या में कैदियों को रिहा किया जाएगा। इस मामले में बैठक के उपरांत ही कोई निर्णय लिया जा सकता है। आईजी ने बताया कि संक्रमण के खतरे को देखते हुए लगातार कोरोना टेस्टिंग और स्वास्थ्य के प्रति एहतियात के लिए सभी व्यवस्थाएं बनाई गई हैं। फिलहाल, किसी भी जेल में कोई गंभीर स्थिति नहीं है।

समाज में कई तरह के नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं

उत्तराखंड बार काउंसिल के सदस्य/अधिवक्ता चंद्र शेखर तिवारी की मानें तो खूंखार कैदियों को पेरोल पर रिहा करने से समाज में कई तरह के नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। क्योंकि पिछले साल भी 7 साल से कम अवधि के विचाराधीन कैदियों को मार्च 2020 में पेरोल पर छोड़ा गया था।

लेकिन पेरोल खत्म होने के बाद वो सभी कैदी अभी तक फरार चल रहे हैं। पैरोल पर जाने वाले काफी कैदी संगठित अपराधिक गिरोह में शामिल कैदियों को पैरोल पर छोड़ना जहां एक तरफ अपराधिक नेटवर्क को मजबूत करना हो सकता है।

वहीं, दूसरी ओर फरार होने वाले कैदियों को दोबारा से गिरफ्तार करना इस महामारी के दौरान पुलिस के लिए फजीहत के साथ ही चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। जिसके चलते समाज में इन कैदियों अपराधियों को लेकर भय का वातावरण बनता जा रहा है।

अधिवक्ता चंद्रशेखर तिवारी के मुताबिक 7 साल से कम सजा वाले विचार दिन कैदियों को जेलों से पेरोल पर रिहा करने के बजाय उन्हें अंतरिम बेल देना ज्यादा मुनासिब होगा। इसके लिए मजिस्ट्रेट को जमानत वाली सभी औपचारिकताओं को पूरा कर इस व्यवस्था को बना सकते हैं। क्योंकि, सुप्रीम कोर्ट ने भी पैरोल के साथ अंतरिम बेल की बात कही है।

तिवारी के मुताबिक ऐसे में पैरोल पर रिहा होकर फरार होने वाले मामले में लगाम लगाई जा सकेगी। उच्चतम न्यायालय के आदेश अनुसार प्रणाम हमारी में जेलो क्षमता से अधिक कैदियों को कम कर संक्रमण के खतरे को भी कम किया जा सकता है।

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