यहां बनेगा दो सौ करोड़ की लागत से रामायण मंदिर

पटना। बिहार में पश्चिमी चम्पारण (बेतिया) जिले के केसरीया में दो सौ करोड़ से उपर की लागत से महावीर मंदिर न्यास द्वारा अगले वर्ष 2017 में होली के त्योहार के बाद भव्य रामायण मंदिर का निर्माण शुरू हो जायेगा। मंदिर निर्माण कार्य शुरू करने के मार्ग में अब कोई व्यवधान नहीं बचा है, क्योंकि कंबोडियाई सरकार की आपत्तियों के बाद मूल योजना में संशोधन किया गया है। पटना स्थित महावीर मंदिर ट्रस्ट के किशोर कुणाल ने विशेष भेंटवार्ता में कहा, हमारे विराट रामायण मंदिर पर कंबोडिया सरकार की आपत्तियों के बाद हमने मूल योजना में संशोधन किया है।

कंबोडिया ने प्रस्तावित मंदिर को अंगकोर वाट मंदिर की प्रतिलिपि बताते हुए आपत्ति जताई थी। भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि हमने होली के बाद निर्माण कार्य शुरू करने की तैयारी कर ली है। प्रस्तावित मंदिर के डिजाइन या वास्तुकला का अंगकोर वाट मंदिर से कोई लेनदेना नहीं है, जहां हर साल लाखों पर्यटक पहुंचते हैं। उन्होंने कहा कि कंबोडियाई मंदिर परिसर का निर्माण 12वीं सदी में राजा सूर्यवर्मन के शासनकाल में हुआ था और अब यह यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल है। प्रस्तावित मंदिर बिहार में पश्चिमी चंपारण जिले के केसरिया के निकट जानकी नगर में करीब 165 एकड़ भूमि में बनाया जाएगा । प्रथम चरण में निर्माण कार्य पर 200 करोड़ रुपये की लागत आएगी। प्रथम चरण में रामायण मंदिर, शिव मंदिर और महावीर मंदिर का निर्माण होगा। उन्होंने कहा कि मंदिर का मुख्य आकर्षण इसकी 405 फीट ऊंची अष्टभुजीय मीनार होगी। यह अंगकोर वाट मंदिर की मीनार से ऊंची होगी जो 215 फीट ऊंची है। परिसर में 18 मंदिर बनाए जाएंगे। मंदिर परिसर में 44 फीट ऊंचे और 33 फीट की परिधि वाले शिवलिंग स्थापित करने का भी प्रस्ताव है, जो दुनिया में सबसे ऊंचा होगा। कुणाल ने कहा कि जब गत वर्ष मंदिर निर्माण कार्य शुरू होने वाला था तो कंबोडियाई सरकार ने भारत सरकार से यह कहते हुए आपत्ति जताई थी कि यह अंगकोर वाट मंदिर की नकल है।

कुणाल और उनकी टीम ने योजना की फिर से जाँच की गयी और उसके उपरांत गत वर्ष और इस साल विदेश मंत्रालय के जरिए नाॅम नेन्ह को संशोधित योजना भेजी दी गई थी। नई दिल्ली स्थित कंबोडियाई दूतावास ने कथित रूप से संकेत दिया है कि आपत्तिजनक स्थिति में वह संशोधन का सुझाव देगा। कुणाल ने कहा, ष्मुझे सरकार की ओर से सूचित किया गया है कि कंबोडियाई सरकार से कोई जवाब नहीं मिला है.ष् इसलिए निर्माण कार्य शुरू करने का निर्णय लिया गया है। पूर्व पुलिस अधिकारी ने कहा कि मंदिर की डिजाइन खास तौर पर इंडोनेशिया व थाईलैंड समेत भारत और दुनियाभर के दर्जनों प्रमुख मंदिरों से प्रभावित है। उन्होंने कहा कि कई मुसलमानों ने मामूली दर पर जमीन दी है बिना उनकी मदद के इस महत्वाकांक्षी परियोजना को शुरू करना मुश्किल था । उन्होंने कहा प्रस्तावित मंदिर के एक हाॅल में 20,000 लोगों के बैठने की क्षमता होगी और मुख्य मंदिर में राम, सीता, लव और कुश की प्रतिमाएं लगाई जाएंगी। मंदिर का निर्माण नामी विनिर्माण कंपनी लार्सन एंड टर्बाे (एल एंड टी) इंडिया करेगी।