शायरी : रफ्ता-रफ्ता वह मेरी हस्ती का समान हो गये

rafta rafta

रफ्ता-रफ्ता वह मेरी हस्ती का समान हो गये,
पहले जान, फिर जान-ए-जां फिर जान-ए-जना हो गये।
दिन बा दिन भरती गई इस हुस्न की रानाइयां,
पहले गुल, फिर गुलबदन, फिर गुलबदनाम हो गये।

आप तो नजदिक से नजदिकतर आते गये,
फिर दिल, फिर दिलरूबा, फिर दिलके मेहमान हो गये।
प्यार जब हद से बड़ा सारे तक्कलुफ मिट गये,
आप से फिर तूम हुए, फिर तू का उनवान हो गये।