आॅनलाइन बैंकिंग कितनी खतरनाक और आसान

रुद्रपुर । नोट बंदी के बाद केंद्र सरकार आॅनलाइन बैंकिंग को प्रमोट कर रही है। कैशलेश बैंकिंग के लिए युवाओं का आ“वान किया जा रहा है, लेकिन संसाधनों के अभाव में आॅनलाइन बैंकिंग क्या संभव है? जिस उत्तराखंड में अभी भी ऐसे लोग है जिन्होंने ट्रेन तक नहीं देखी क्या उनके लिए आॅनलाइन बैंकिग आसान है? आॅनलाइन बैंकिंग करने वाले तमाम ग्राहक ठगी का शिकार होते रहे हैं और आगे भी होंगे। मैट्रो सिटी में भले ही आईटी एक्ट के एक्सपर्ट हों, लेकिन ऊधमसिंह नगर जैसे जिले की पुलिस में क्या आईटी एक्ट गहराई जानने वाले पुलिसकर्मी हैं? अभी तक साइबर क्राइम के जितने भी मामले जिले में हुए पुलिस एक आध को छोडकर किसी का खुलासा नहीं कर सकी। ज्यादातर मामले में तो पीडिघ्त के सामने ही पुलिस ने हाथ खड़े कर दिए। पुलिस की मजबूरी यह है कि उसके पास न तो संसाधन हैं और न ही मैनपावर, जो साइबर क्राइम की विवेचना कर असली मुल्जिम तक पहुंच सके।

वैसे भी जिस उत्तराखंड के थाने आज तक आॅनलाइन नहीं हुए वहां आॅनलाइन बैंकिंग के दौरान होने वाले अपराध को रोकने की सोची भी कैसे जा सकती है? नेट बैंकिंग अथवा आॅनलाइन बैंकिंग से सावधान करती केके चैहान की स्पेशल रिपोर्ट…।रुद्रपुर। क्या कभी सोचा था कि मशीन नोट उगलेगी, लेकिन आज एटीएम से नोट निकल रहे हैं, लेकिन एटीएम आने के बाद पिन नंबर हैक होने और एटीएम कार्ड बदलकर खातों से धन उड़ाने की घटनाएं भी बेहिसाब होने लगी। एटीएम कार्ड ब्लाक होने का झांसा देकर साइबर क्राइम करने वाले हजारों मील दूर बैठकर खातों से रकम उड़ाने, लेकिन आज तक कानून के हाथ इस तरह का साइबर क्राइम करने वालों के गिरेबान तक नहीं पहुंचे। उत्तराखंड में तो पहाड़ के सीधे लोगों को तो आसानी से ठगी का शिकार बनाया गया, लेकिन पुलिस ऐसे किसी मामले का खुलासा तक नहीं कर सकी है। उत्तराखंड की पुलिस तो आज तक वैज्ञानिक तरीके से विवेचना ही करना नहीं सीखी है। यहां की पुलिस तो आज भी पुराने ढर्रे पर डंडे के सहारे ही अपराध कबूल कराने में लगी है। ऐसी पुलिस से वैज्ञानिक तरीके से विवेचना करने और साइबर क्राइम करने वालों को बेनकाब करने की उम्मीद कैसे की जा सकती है।

इस सब के बीच आॅनलाइन बैंकिंग का सपना देखना क्या बेमानी नहीं होगी? जरा सोचिए आॅनलाइन बैंकिंग से आम आदमी की दुनिया आसान करने का दावा किया जा रहा है, लेकिन क्या गारंटी की लोग अपनी मेहनत की कमाई से हाथ नहीं धोएंगे? क्या आॅनलाइन बैंकिंग से लोगों की व्यक्तिगत जानकारी आम नहीं होगी? अभी तक गिनती में होने वाले साइबर क्राइम का ग्राफ नहीं बढ़ेगा। हालांकि आॅनलाइन बैंकिंग के बाद न बैंक जाने का झंझट होगा और न ही पासबुक या चैकबुक सहेजने की जरूरत होगी। वहीं पल भर में कहीं किसी भी अकाउंट में पैसा भेज सकते हैं, मनचाही शाॅपिंग कर सकते हैं, लेकिन नेट बैंकिंग जितनी सुविधाजनक है, वायरस और हैकिंग की वजह से उतनी ही जोखिम भरी है। कई बार लापरवाही से काम करना या नेट बैंकिंग करना मानव स्वभाव हो गया है। जिसके कारण भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। आपकी इसी मुश्किल को आसान बनाने की कोशिश की गई है ताकि आप आपकी मेहनत सुरक्षित रह सके। सभी बैंक अपने ग्राहकों को सुरक्षित आॅनलाइन बैंकिंग के लिए कई सुझाव देते हैं, लेकिन इसके बावजूद कई लोग ठगी का शिकार हो जाते हैं। इंटरनेट पर हर पल कई हैंकर लगातार दूसरों के बैंक एकाउंट पर नजर बनाए रहते हैं और लोगों की एक छोटी सी गलती का बेसब्री से इंतजार करते हैं। अगर आप इस जाल में नहीं पफं सना चाहते हैं तो ध्यान रखे…।