Ministers are doing their own arbitrary
देहरादून। Ministers are doing their own arbitrary अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सदस्या एवं उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी की प्रवक्ता गरिमा महरा दसौनी ने तीरथ सरकार के मत्रिमंण्डल के सदस्यों पर कड़ा हमला बोला है। गरिमा दसौनी ने मंत्रियों पर मनमानी करने का आरोप लगाया है।
उन्होंने कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी द्वारा सैन्य धाम निर्माण समिति को निरस्त किये जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है। दसौनी ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि पूर्व में यह समिति पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत द्वारा गठित की गई थी जिसकी अध्यक्षता मुख्य सचिव कर रहे थे और हो ना हो गणेश जोशी द्वारा यह कदम त्रिवेन्द्र रावत को नीचा दिखाने के लिए उठाया गया है।
दसौनी ने यह भी कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि गणेश जोशी समिति को निरस्त करने के लिए अधिकृत हैं लेकिन सवाल यह उठता है कि मुख्यमंत्री को अध्यक्ष नामित करने का मंत्री गणेश जोशी को अधिकार आखिर किसने दे दिया।
प्रदेश में क्या चल रही है मंत्रियों की मनमानी ??आखिर गणेश जोशी को यह अधिकार किसने दिया कि वह मुख्यमंत्री को सैन्य धाम निर्माण समिति का अध्यक्ष नामित करें https://t.co/JSLDdDCpZw
— Garima Mehra Dasauni आन्दोलनजीवी (@garimadasauni) April 8, 2021
दसौनी ने कहा कि क्या प्रदेश में गंगा उलटी बहने लगी है और मंत्री अपने मनमानी में उतर आये हैं। दसौनी के अनुसार यह पहली बार नहीं है कि किसी मंत्री ने प्रोटोकाल तोड़ा हो। इससे पहले भी कर्मकार कल्याण बोर्ड में कुछ इसी तरह की अराजकताये देखने को मिली।
कर्मकार कल्याण बोर्ड में घोटाले की पुष्टि होने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा बोर्ड के अध्यक्ष पद से मंत्री हरक सिह को हटा दिया गया था। उसके बाद लगभग 32 अधिकारियों व कर्मचारियों पर घोटाले के आरोप में जाॅच बैठा दी गई थी।
रिर्पोट में जाॅच अधिकारी ने बडे घोटाले की पुष्टि भी की
20 करोड़ रूपये का घोटाला जग जाहिर हुआ था जिसकी बाद में बोर्ड के द्वारा उगाही भी कर ली गई थी और इस कर्मकार बोर्ड की जाॅच अधिकारी षणमुगम को सौंप दी गई थी जिसकी रिर्पोट में जाॅच अधिकारी ने बडे घोटाले की पुष्टि भी की।
लेकिन आश्चर्यजनक बात यह है कि नेतृत्व परिवर्तन के बाद ना सिर्फ इस विभाग की जाॅच रोक दी गई बल्कि निलंबित सभी अधिकारी व कर्मचारी जिन पर घोटाले की जाॅच चल रही थी उन सभी को बहाल ही नहीं किया गया बल्कि जिस दिन से वह निलंबित किये गये उस तारीख से वेतन भी निर्गत कर दिया गया है।
दसौनी ने कहा कि जब हरक सिंह उस बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटा दिये गये हैं तो फिर लगातार बोर्ड के क्रियाकलापों में उनके दखल का क्या औचित्य है? दसौनी ने सवाल किया कि आखिर हरक सिंह को किसका संरक्षण प्राप्त हो रहा है कि वह अपनी मनमानी पर उतर आये हैं।
दसौनी ने मुख्यमंत्री तीरथ रावत से भी प्रश्न किया है कि आंखिर प्रदेश में मंत्रियों द्वारा की जा रही मनमानी देखने के बाद भी मुख्यमत्री मौन क्यों साधे हुए हैं? क्या सिर्फ इस लिए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत मूक दर्शक बने हुुए है कि वह अपने विरोध से डरते हैं और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द रावत का जैसा हश्र नहीं चाहते।
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