इंसान कितना गिर गया है पैसों के खातिर, अपनों को भी भूल बैठा पैसों के खातिर

How low has man stopped for sake of money

शादाब अली

दिल बड़ा रोता है आजकल के माहौल को देखकर जैसे की गरीब बेसहाराओ की कोई सुनने वाला नहीं। कब्रिस्तान में एक कब्र पर स्कूल का बैग रख कर बच्चा कब्र से लिपट कर रो रहा था और कह रहा था अबू उठो, टीचर ने कहा है कल फीस ज़रूर लाना वरना अपने अबू को साथ लाना। उठो अबू।

अब तो ऐसा वक्त आ गया है कि अगर कोई गरीब अपने से ऊंचे इंसान या यूं कहे कि कद में बड़ा व ताकतवर एवं पैसे वाले इंसान को दावत दे फिर उसको बुलाए तो भी उसके पास टाइम नहीं होगा। और अगर बड़ा इंसान एक छोटे से मैसेज कर दे या उसको झूठे की दावत दे दे तो वह दौड़ा चला आएगा। इसलिए कहा जाता है कि अब अपने से नीचे वाले कि अगर उसकी बराबरी का हिस्सा ना हुआ तो उसको बराबर में बैठना तो दूर रहा उसकी पीड़ा को भी समझना जरूरी नहीं समझते। यह भूल बैठे की एक दिन मारकर जाना सभी को है, जैसे खाली हाथ आए थे हम, वैसे ही खाली हाथ जाएंगे। ना किसी को सताए हम और ना किसी गरीब का हक दबाए हम। अपने से नीचे वाले पर भी नजर डालकर उसकी मजबूरियों को नजर अंदाज न कर कर उसकी समस्याओं का निस्तारण करें हम।

साथ वाली कब्र के पास खड़ा व्यक्ति कब्र के लिए हजारों रुपये की कीमती चादर और फूल पहुंचाने के लिए किसी दुकानदार को फोन कर रहा था और साथ ही बच्चे की बातों पर भी ध्यान दे रहा था। उसने फोन पर यह कहकर फोन बंद किया कि भाई चादर और फूल नहीं चाहिए। फूल इधर मिल गए हैं।
फिर उसने बच्चे से कहा ये लो बेटा। तुम्हारे अबू ने फीस और नई यूनिफार्म आदि के लिए पैसे भेजे हैं। दोस्तों! इन रस्मों पर पैसे खर्च करने की बजाय किसी जरूरतमंद की मदद कर दिया करो तो बहुत सुकून और खुशी महसूस करोगे।
आल्हा ईश्वर खुदा सभी को हिदाय हिदायत दे