वनाग्नि के मामले में हाईकोर्ट सख्त, प्रमुख वन संरक्षक को कोर्ट में पेश होने के दिए निर्देश

High court strict on Forest fire

High court strict on Forest fire

नैनीताल। High court strict on Forest fire हाईकोर्ट ने प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर तेजी से फैल रही जंगल की आग पर स्वत संज्ञान लिया है। कोर्ट ने प्रकरण में प्रदेश के प्रमुख वन संरक्षक को बुधवार को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा प्रदेश सरकार की ओर से जंगल की आग पर नियंत्रण के लिए तैयारियों का ब्योरा भी मांगा गया है।

मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चैहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई। कोर्ट ने ‘इन द मैटर ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ फॉरेस्ट एरिया फॉरेस्ट हेल्थ एंड वाइल्ड लाइफ’ जनहित याचिका पर स्वत संज्ञान लिया है।

इससे पूर्व हाईकोर्ट के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली और राजीव बिष्ट की ओर से कोर्ट को प्रदेश में लगातार धधक रहे जंगलों के संबंध में अवगत कराया गया था। उनका कहना था कि वर्तमान में प्रदेश भर के विभिन्न स्थानों पर कई जंगल वनाग्नि की चपेट में धधक रहे हैं।

दूसरी ओर प्रदेश सरकार की ओर से इस संबंध में कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। जबकि हाईकोर्ट ने वर्ष 2016 में जंगलों को आग से बचाने को गाइडलाइन जारी की है। कोर्ट ने जंगलों की आग बुझाने के लिए गांव स्तर से ही कमेटियां गठित करने को कहा था, जिस पर आज तक अमल नहीं किया गया।

समाचार पत्रों में इस संबंध में लगातार प्रकाशित हो रही खबरों का संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने इस विषय को गंभीरता से लिया है। सरकार से पूछा गया है कि वनाग्नि नियंत्रण के लिए क्या तैयारियां की गई हैं ? इसको लेकर और भी क्या उपाय तथा विकल्प सुझाए गए हैं? इसकी स्पष्ट रिपोर्ट बुधवार को कोर्ट को बताएं।

मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा है कि वर्तमान में चल रही कोरोना महामारी के लिए भी वनाग्नि नुकसानदेह है। धुंध और ऐसे मौसम में कोरोना पीड़ितों को सांस संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। जंगल की आग से यह नई समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।

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