परिजनों से बिछड़े बालक जगदीश, मदद की दरकार

Jagdish
जगदीश।
अल्मोड़ा। अपने माता-पिता से संदिग्ध परिस्थितियों में बिछड़ा एक नाबालिक लड़का डेढ़ माह तक रानीखेत में इधर उधर भटकता रहा। पुलिस की नजर जब बालक पर पड़ी तो उसे थाने ले आयी। इसके परिजनों की ढूंढखोज में जब पुलिस नाकाम हो गयी तो एसडीएम के आदेश से इसे बाल सुधार गृह भेज दिया, लेकिन चूंकि सुधार गृह में केवल विभिन्न आपराधिक मामलों में पकड़े गये बच्चे ही रह सकते हैं इसलिए इस बालक को अब चाइल्ड हैल्प लाइन 1098 की टीम के सुपुर्द कर दिया गया है।

घटनाक्रम के अनुसार काफी समय पूर्व नेपाल से एक दंपत्ति अपने 13 वर्षीय बालक जगदीश के साथ भीमताल आया और वहां एक अस्थाई ठिकाना बनाकर रहने लगा। आज से करीब डेढ़ माह पूर्व माता-पिता ने बच्चे को रानीखेत की बस में बैठा दिया और एक हजार रूपये दे दिये। कहा कि वह दूसरी गाड़ी से रानीखेत आते हैं फिलहाल तू रानीखेत पहुंच जा। हम तुझे वहीं केमू स्टेशन पर मिल जायेंगे। यह बालक रानीखेत तो पहुंच गया, लेकिन लंबे इंतजार के बावजूद इसके माता-पिता नहीं पहुंचे। नन्हे जगदीश के पास बस शरीर में पहने कपड़े और हजार रूपये थे। इंतजार लंबा होता गया और पूरा डेढ़ माह बीत गया पर उसके माता-पिता नहीं पहुंचे। इतने दिन यह लावारिस बालक रानीखेत में बिस्कुट खाकर और पानी पीकर ही जिंदा रहा। रात को जहंा फुटपाथ में जगह मिल जाती सो जाता। इस बीच रानीखेत पुलिस की नजर बालक पर पड़ी और वह उसे थाने ले आये। बालक अपने पिता का नाम गणेश भंडारी तथा माता का नाम निर्मला देवी तथा खुद को नेपाल का रहने वाला बता रहा है। बालक के अनुसार उसके दो बड़े भाई-बहन भी हैं। बहन का नाम पूजा तथा भाई का नाम मुकेश है। बालक का कहना है कि वह कभी स्कूल नहीं गया तथा पढ़ना-लिखना नहीं जानता है।

रानीखेत पुलिस जब बालक के परिजनों का पता लगाने में नाकाम रही तो एसडीएम के माध्यम से कागज बनवाकर इसे बाल सुधार गृह अल्मोड़ा भेज दिया गया। यहां सुधार गृह के सामने अजीब स्थिति पेश आ गई। चूंकि सुधार गृह में तो केवल आपराधिक वारदातों को अंजाम देने वाले नाबालिग ही रहते हैं अतएव इस बालक को रखने की कोई व्यवस्था नहीं हो पाई। लिहाजार बाल सुधार गृह से इस बालक को चाइल्ड हैल्प लाइन 1098 संस्था को सौंप दिया गया। अब यह बालक चाइल्ड हैल्प लाइन के केंद्र्र समन्वयक रवींद्र सिह रावत, सदस्य विनोद सिंह घुघुतियाल, चंदन सिंह, दीपू सिंह लटवाल के पास है। उन्होंने बताया कि आज 14 जुलाई को बालक को बाल कल्याण समिति बख के समक्ष पेश किया जायेगा। समिति के आदेश पर ही इस बालक को आगे कहीं भेजे जाने की कार्रवाई हो पायेगी। चाइल्ड हैल्प लाइन 1098 की टीम ने बताया कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की मदद से तमाम पुलिस थानों में संपर्क साधा गया है, लेकिन कहीं भी बालक की गुमशुदगी दर्ज नहीं है। कहीं किसी थाने में बालक की गुमशुदगी दर्ज नहीं होना भी कम हैरानी की बात नहीं है। इससे यह समझा जा रहा है कि या तो इसके माता-पिता किसी दिक्कत में फंस गये हैं अथवा उन्होंने जानबूझ कर बालक को अपने से अलग कर दिया है। यह परिस्थितियां क्यों उत्पन्न हुई इसका खुलासा तो तभी हो सकता है, जब इस बालक के परिजन मिल जायें।

खुद को नेपाली बताने वाले इस बच्चे को नहीं आती नेपाली !

अल्मोड़ा। इस नन्हे बालक की गुमशुदगी को लेकर पुलिस भी हैरान है। रानीखेत पुलिस के मुताबिक बालक अपने नेपाल का पता नहीं बता पा रहा है। खुद को नेपाली कह रहा है, लेकिन नेपाली भाषा का एक भी शब्द नहीं जानता और हिंदी में बात कर रहा है। कहता है कि माता-पिता के साथ भीमताल रहा, लेकिन जब पुलिस इसे भीमताल लेकर गई तो वहां अपना ठिकाना नहीं बता पाया। चेहरे से भी यह नेपाल का नहीं बल्कि उत्तराखंड का लग रहा है। हालांकि यह बालक बहुत मासूम दिखाई दे रहा है। क्या यह बालक झूठ बोल रहा है या फिर यह किसी साजिश का शिकार हो गया इसका उत्तर किसी के पास नहीं है। सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि आंखिरकार इस बालक को कहां भेजा जायेगा ? चूंकि अल्मोड़ा या आस-पास किसी किस्म का कोई अनाथालय नहीं है और बाल सुधार गृह में भी इसके रूकने की व्यवस्था कानूनी तौर पर नहीं हो सकती। अतएव बहुत संभव है कि आज बाल कल्याण समिति इस बालक को हरिद्वार स्थित अनाथालय भेज दे। ज्ञात रहे कि बाल कल्याण समिति में अध्यक्ष सहित पांच लोग होते हैं। यह समिति ही इस बालक का आज भविष्य तय करेगी।