इस तस्वीर में छिपा है राज, जानिए क्या?

Donal trump and putin

क्या हमारे लिए नकली खबरों को पकड़ना आसान है? खासकर जब उनमें तस्वीरें एडिटिंग करके लगाया गया हो? यदि आपका जवाब हाँ है तो ऐसा बिल्कुल नहीं वास्तव में हमारे लिए असली और नकली तस्वीरों का भेद करना काफी मुश्किल है। यह बात ब्रिटेन में होने वाली एक चिकित्सा अनुसंधान में सामने आई।
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वारोक विश्वविद्यालय के रिसर्च के दौरान समझाने की कोशिश की गई कि पिछले दिनों जी ट्वेंटी की बैठक सोशल मीडिया पर प्रसारित करने वाली एक वायरल तस्वीरें क्यों शेयर किया जा रहा है। हालांकि वह नकली जी हाँ वाकई यह नकली तस्वीर। रिसर्च के दौरान 700 से अधिक लोगों को विभिन्न तस्वीरें दिखाई गईं जिनमें से एक असली और दूसरी एडिटिंग की गई थी।


परिणाम से पता चला कि दस में से चार व्यक्ति नकली या एडिट तस्वीरों की पहचान करने में असमर्थ रहे। परिणाम से पता चला कि जो लोग नकली चित्र का सही अनुमान भी कर लेते हैं, उनमें से भी केवल 45 प्रतिशत असली पहचान पाते हैं।
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शोधकर्ताओं का कहना था कि परिणाम से पता चलता है कि हालांकि लोग नकली या एडिट किये गये की पहचान करने में बेहतर प्रदर्शन दिखाते हैं मगर वह भी पूरी तरह से सही नहीं। उनके अनुसार इस वजह से नकली तस्वीरें और समाचार इंटरनेट पर तेजी से वायरल होते हैं और रोजमर्रा की जिंदगी में लोग इसका शिकार होते हैं। इस शोध के परिणाम मेडिकल पत्रिका Cognitive Research: Principles and Implications में प्रकाशित हुए।
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