इगास पर्व पर लंबी लकीर खींच गए धामी

Dhami drew a long line on festival of Igas

Dhami drew a long line on festival of Igas

देहरादून। Dhami drew a long line on festival of Igas उत्तराखंड के लोकपर्व इगास/बूढ़ी दिवाली पर राजकीय अवकाश घोषित करके युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लंबी लकीर खींच दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के इस निर्णय से जहां एक ओर प्रदेश की जन भावनाओं का सम्मान हुआ है।

वहीं लोक पर्व के नाम पर सियासत करने वालों को भी करारा जवाब मिला है। उत्तराखंड के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब किसी सरकार ने लोकपर्व इगास को विशेष महत्व देते हुए राजकीय अवकाश घोषित किया है। धामी सरकार के इस निर्णय के बाद भविष्य में हर साल इगास पर छुट्टी का आदेश जारी नहीं करना पड़ेगा।

साथ ही उनका यह निर्णय लोक संस्कृति परंपराओं के संरक्षण और संवर्धन के क्षेत्र में ऐतिहासिक माना जायेगा। खास बात यह है क़ि मुख्यमंत्री ने अपने विशेषअधिकार का प्रयोग करते हुए रविवार को पड़ रहे इगास पर्व की छुट्टी सोमवार को स्वीकृत की है, ताकि लोग अपने पैतृक गाँव जाकर उल्लास के साथ बूढ़ी दिवाली मना सकें।

दरअसल पृथक राज्य गठन के बाद उत्तराखण्ड में लगातार मांग उठ रही थी कि इगास को सरकार खूब प्रचारित और प्रसारित करे ताकि इस लोकपर्व का संरक्षण और संवर्धन हो सके। लेकिन हर सरकार ने इस मामले में जनभावनाओं को दरकिनार किए रखा।

तकरीबन दो दशक पुरानी इस मांग को अब युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मजबूत इच्छाशक्ति दिखाते हुए पूरा करने का निर्णय लिया है। धामी सरकार ने इगास पर्व पर राजकीय अवकाश की घोषणा की हैं और इसे व्यापक स्तर पर उल्लास के साथ मानने का आह्वान किया है।

मुख्यमंत्री के इस निर्णय की केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने सराहना की है। सोशल मीडिया में आम लोग मुख्यमंत्री धामी की दिल खोलकर तारीफ कर रहे हैं।

400 साल पुरानी है इगास मानने की परंपरा

एक पौराणिक मान्यता के अनुसार करीब 400 साल पहले बीर भड़ माधो सिंह भंडारी के नेतृत्व में टिहरी, उत्तरकाशी, जौनसार और श्रीनगर समेत अन्य क्षेत्रों सेयोद्धाओं को बुलाकर सेना तैयार की गई थी और तिब्बत पर हमला बोलते हुए तिब्बत सीमा पर मुनारें गाड़ दी थी।

इस दौरान बर्फ से पूरे रास्ते बंद हो गए। कहा जाता है कि पूरे गढ़वाल में उस साल दिवाली नहीं मनाई गई, लेकिन दीवाली के ग्यारह दिन बाद जब माधो सिंह युद्ध जीत कर वापस गढ़वाल पहुंचे तब पूरे इलाक़े के लोगों ने भव्य तरीक़े से दीवाली मनाई, तबसे ही गढ़वाल में इसे कार्तिक माह की एकादशी यानी इगास बग्वाल के रूप में मनाया जाता है।

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