पर्यटकों को सभी प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों की जानकारी दी जाए : महाराज

Churning on ancient and historical temples
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज बैठक लेते हुए।

Churning on ancient and historical temples

पर्यटकों को दी जाएगी सभी जनपदों में स्थित प्राचीन मंदिरों की जानकारी
नैनीताल में स्थित विश्व का एक मात्र प्राचीन मंदिर जहां गुरू बृहस्पति की पूजा की जाती है

देहरादून। Churning on ancient and historical temples राज्य में पर्यटन की रफ्तार को तेज करते हुए पर्यटन, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में आज एक बैठक का आयोजन किया गया जिसमें प्रदेश के समस्त जनपदों में स्थित प्राचीन शंकर, विष्णु, राम, नवगृह और गोलज्यू मंदिरों का विवरण लेते हुए पर्यटन एवं तीर्थाटन की दृष्टि से उनके प्रचार एवं प्रसार पर व्यापक मंथन किया गया।

पर्यटन विभाग गढ़ीकैंट में अधिकारियों व 13 जिले के डीटीडीओ के साथ वर्चुवल बैठक आयोजित कर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों व तीर्थ यात्रियों को सभी प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों की जानकारी देना आवश्यक है जिससे राज्य में पर्यटन को बढ़ावा मिल सके।

बैठक में 13 जनपदों के डीटीडीओ आनलाईन उपस्थित हुए और अपने-अपने जनपदों स्थित प्राचीन मंदिरों का विवरण पर्यटन मंत्री के सम्मुख रखा। बैठक के दौरान पर्यटन मंत्री ( Satpal Maharaj ) ने बताया कि उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से आग्रह किया है कि वे फिल्म निर्माताओं को उत्तराखण्ड की चर्चित हस्तियों जैसे नैन सिंह रावत, अजीत डोभाल, थारू व बोक्सा जाति, राजा मालूसाई आदि के जीवन पर फिल्म का निर्माण करने के लिए भी प्रेरित करें।

पर्यटन की दृष्टि से अल्मोड़ा में स्थित शिव मंदिर कपिलेश्वर व जागेश्वर, पिथौरागढ़ में पाताल भुवनेश्वर, बागेश्वर में बैजनाथ व बागनाथ, चम्पावत में कान्तेश्वर मंदिर, नैनीताल में भीमेश्वर मंदिर, ऊधमसिंह नगर में मोटेश्वर महादेव, टिहरी में कोटेश्वर महादेव मंदिर, रूद्रप्रयाग में पंच केदार, उत्तरकाशी में विश्वनाथ मंदिर, हरिद्वार में दक्ष प्रजापति मंदिर, चमोली में रूद्रनाथ शिव मंदिर व कल्पेश्वर शिव मंदिर, पौड़ी में क्यूंकालेश्वर मंदिर, नीलकण्ड, एकेश्वर मंदिर और देहरादून में लाखामण्डल स्थित शिव मंदिर कुल 24 प्राचीन शिव मंदिरों को चिन्हित किया गया है।

16 विष्णु मंदिरों को चिन्हित किया गया

वहीं विष्णु भगवान के मंदिरों में बद्रीनाथ मंदिर छत्तरगुला द्वाराहाट अल्मोड़ा, राम मन्दिर नारायण काली, बद्रीनाथ अल्मोड़ा, विष्णु मंदिर कोटली गंगोलीहाट पिथौरागढ़, मूल नारायण बागेश्वर, नारायण कोटि रूद्रप्रयाग, नारायण शिला हरिद्वार, पंच बद्री चमोली, सत्य नारायण मंदिर देहरादून, रघुनाथ मंदिर देवप्रयाग, उत्तरकाशी रघुनाथ गैलबनार, पौड़ी में वैष्व मंदिर समूह देवलगढ़ कुल 16 विष्णु मंदिरों को चिन्हित किया गया है।

प्राचीन नाग देवता मंदिरों में नागनाथ मंदिर चम्पावत, पिगली नाग मंदिर पाखू, बेड़ी नाग मंदिर बेरीनाग पिथौरागढ़, फेणी नाग देवता मंदिर, धौली नाग मंदिर बागेश्वर, कारकोटक नैनीताल, सेम मुखेम नाग मंदिर टिहरी, नागराज देवता मंदिर मसूरी देहरादून व डांडा नागराजा मंदिर पौड़ी को चिन्हित किया गया है।

नवगृह सर्किट में मानिला देवी व अल्मोड़ा के कटारमल स्थित सूर्य मंदिर, आदित्य सूर्य मंदिर रमक चम्पावत, नैनीताल में स्थित विश्व का एक मात्र प्राचीन मंदिर जहां गुरू बृहस्पति की पूजा की जाती है। उत्तरकाशी खर्शाली में शनि देव महाराज का प्राचीन मंदिर व पौड़ी में स्थित राहु मंदिर को चिन्हित किया गया।

राज्य में पर्यटन को चार चांद लगे

अल्मोड़ा के चितई गोलज्यू व गैराण मंदिर, चम्पावत स्थित गोलू देवता व नैनीताल के घोड़ाखाल में स्थित गोलू मंदिर को पर्यटन की दृष्टि से चिन्हित किया गया है।

बैठक में उत्तराखण्ड राज्य में पर्यटकों की बढ़ोत्तरी के लिए सिखों के धार्मिक स्थलों, यहां के सिद्धपीठों, बुद्ध स्थलों व अल्मोड़ा के लखुडयार, पाताल रूद्रेश्वर आदि को चिन्हित करने के दिशा निर्देश दिये जिससे राज्य में पर्यटन को चार चांद लगे।

बैठक के बाद पर्यटन मंत्री ( Satpal Maharaj ) ने मौजूद सभी अधिकारियों व जिले के सभी डीटीडीओ को ईगास बुढ़ी दिपावली की शुभकामनाऐं दी। बैठक के बाद पर्यटन सचिव ने जिले के सभी डीटीडीओ को दिशा निर्देश दिये कि अपने जिले के संबंधित सभी धार्मिक स्थलों का विवरण यथाशीघ्र दें।

अपर सचिव सोनिका, निदेशक वित जगत सिंह चौहान, अपर निदेशक विवेक चौहान, उपनिदेशक योगेन्द्र कुमार गंगवार, रिसर्च अधिकारी एसएस सामंत तथा अन्य विभागीय अधिकारी मौजूद रहे।

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