भटकल के बाद किसका नंबर?

रमेश ठाकुर
मौत के सौदागरों को फांसी पर लटकाने का फरमान जारी हो चुका है। तारीख मुकर्रर होनी बाकी है। हैदराबाद की जमीन को इंसानी लहू से रंगने वाले आतंकी यासीन भटकल और उसके पांच साथी जल्द ही फांसी के फंदे में झूलते नजर आएंगे। निश्चित रूप से इन पांचों आतंकियों को सूली पर लटकाने का यह निर्णय आतंक के छाए बादलों को कम करेगा। इनकी मौत के साथ ही इनके आकाओं के भी हौसले पस्त होंगे। यह सिलसिला रुकना नहीं चाहिए। कई साल से जेलों में मौज की रोटी तोड़ रहे खूखांर आतंकियों का भी इनके बाद नंबर लगाना चाहिए।

दूसरे आतंकियों के केसों में भी इसी तरह की तेजी दिखानी चाहिए। भारत में पहली बार इंडियन मुजाहिदीन के किसी आतंकी को फांसी की सजा सुनाई गई है। एनआईए की विशेष अदालत ने भटकल और अन्य आतंकियों पर आईपीसी, शस्त्र अधिनियम, गैर कानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराकर पफांसी का सजा सुनाई है। ये आतंकवादी फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं और चेरलापल्ली केंद्रीय जेल में हैं। दरअसल भारत में जब किसी आतंकी को पफांसी की सजा सुनाई जाती है तो उस पर सियासत होने लगती है। कुछ लोग फांसी के फैसले के खिलाफ होते हैं। अफजल गुरू को जब पफांसी दी गई थी, उस वत्तफ भी राजनीति हुई। जबकि यह हमारी अंखड़ता के खिलाफ है। इससे आतंकियों के हौसले बुलंद होते हैं। विश्व के अधिकांश देश मृत्युदंड को समाप्त कर चुके हैं तो कुछ इसे समाप्त करने की तैयारी में हैं। हिंदुस्तान समेत विश्व में अब केवल 37 ही ऐसे देश हैं जहां पिछले 10 सालों में फांसी दी गई है। जिनमें चीन फांसी पर लटकाने में सबसे आगे है। इसके बाद ईरान का नंबर आता है जहां पफांसी सार्वजनिक रूप से दी जाती है। भारत में फांसी जघन्य अपराध पर ही दी जाती है और इस पर भी राजनीति होने लगती है। जबकि हमें स्वागत करना चाहिए। ऐसे मौकों पर पूरे देश को एकजुटता दिखानी चाहिए। नेशनल जांच एजेंसी यानी एनआईए का यह सख्त फरमान उन आतंकियों के लिए संदेशवाहक बनेगा जो भारत में अशांति फैलाने की हिमाकत करते हैं।

यह पहली बार हो रहा है कि जब हमारी किसी जांच एजेंसी ने अपनी पड़ताल इतनी तेजी से की हो। और करीब साढे तीन साल के भीतर ही फांसी की सजा मुकर्रर कर दी हो। आतंकियों के केस में अगर इसी तरह तेजी दिखाई जाए तो, ऐसे दुर्दांत आतंकियों के मन में भय पैदा होगा। एनआईए ने भटकल के अलावा उत्तर प्रदेश के असदुल्ला अख्तर, पाकिस्तान के जिया-उर-रहमान उर्फ वकास, बिहार के तहसीन अख्तर और महाराष्ट्र के एजाज शेख को दोषी ठहराया है। हालांकि कथित मुख्य षडयंत्रकारी रियाज भटकल अब भी फरार है। ऐसा माना जाता है कि वह कराची में छिपा है और वहीं से ही भारत के खिलाफ अपनी गतिविधियां संचालित कर रहा है। देश के विभिन्न जेलों में इस समय अनगिनत आतंकी मौज कर रहे हैं। उन पर दशकों से गंभीर धाराओं में केस चल रहे हैं। अदालती कार्रवाई चींटी की भांती चल रही है। आतंकियों को पालने में सरकारों के लाखों रूपए खर्च हो रहे हैं। लेकिन भटकल की तरह सभी केसों में इस तरह की तेजी दिखाई जाए तो उसकी तस्वीर कुछ और ही होगी। केंद्र सरकार में इस मोदी की सरकार है।

मोदी को पूरी दुनिया कठोर फैसले लेने की जानती है। एनआईए के कुछ अधिकार इस बात को स्वीकार करते हैं कि उनको अब स्वतंत्रता से काम करने दिया जा रहा है। इसका मतलब साफ है कि जांच एजेंसियों पर राजनीतिक दबाव होता था जिससे जांच प्रभावित होती है। उसका नतीजा यह होता है कि केसों की चाल धीमी हो जाती थी। लेकिन अब आतंकियों के लंबित पुराने सभी मामलों में तेजी लाने की इजाजत मिल चुकी है। यासिन भटकल जैसे आतंकियों के जिंदा रहने का मतलब मानव जीवन को खतरे में डालना। ऐसे आतंकी को पफांसी की ही सजा होनी चाहिए। भटकल केस में विशेष एनआईए अदालत में पिछले माह सात नवंबर को इस मामले में अपनी अंतिम दलीलें पूरी की थी। चूंकि मामले का प्रमुख आरोपी और इंडियन मुजाहिदीन का संस्थापक रियाज भटकल जो इस समय फरार है उसका केस अलग कर दिया गया है। उसको पकड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं। यासिन भटकल इंडियन मुजाहिदीन का सह संस्थापक है।

यासीन कर्नाटक के भटकल शहर में 1983 में पैदा हुआ था। उसने अंजुमन हामी-ए-मुस्लमीन मदरसे से पढ़ाई की थी। यासीन जर्मन बेकरी सहित 10 आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड भी है। वह हैदराबाद के दिलसुखनगर में सीरियल ब्लास्ट के अलावा मुंबई लोकल, बैंगलोर, जयपुर, वाराणसी, सूरत में हुए बम धमाके का भी आरोपी है। लेकिन अब उसके गुनाहों की अंतिम सजा पर मोहर लग गई है। भटकल सहित पांचों आतंकी जिस दिन फांसी पर लटकेंगे। उस दिन ब्लास्ट में मारे गए लोगों की आत्मा को शांति मिलेगी। और उनके परिजनों को न्याय। आतंक को कुचलने का अब एक ही विकल्प है। पकड़े गए आतंकियों को जल्द से जल्द फांसी पर लटकाया जाए। नही ंतो देश में आतंक के बादल यूं ही छाऐ रहेंगे। आतंकियों के प्रति किसी भी तरह की उदारता नहीं दिखानी चाहिए। इनके प्रति उदारता दिखाने का मतलब देश की अखंडता को खतरे में डालना। पफांसी पर लटकाने से ही इनके मंसूबे पस्त होंगे।