तूझे इश्क हो खुदा करे,
कोई तूझेको उससे जुदा करे
तेरे लब हंसना भूल जायें
और तेरी आंख पुरनम रहा करे।
उसे देख के तू रूक पड़े,
और वह नजर झुका कर चला करे,
तुझे हिजर की वह झड़ी लगे
तू मिलने की हरपल दुआ करे।
तेरे ख्वाब बिखरें टूट कर
उसे किरछी किरछी चुना करे
तू नगर-नगर फिर करे
तू गली-गली साधा करे।
तूझे इश्क हो फिर याद हो
उसे तस्बीयों पे पढ़ा करे
मैं कहूं की इश्क ढोंग है
और तू नहीं-नहीं कहां करे।