शायरी : मैं ऐसे मोहब्बत करती हूं, तूम कैसी… ( जवाब-ए-मोहब्बत )

Shayari I love such

जवाब-ए-मोहब्बत ( Shayari I love such )

मैं ऐसे मोहब्बत करती हूं
तूम कैसी मोहब्बत करते हो।

तूम जब भी घर पर आते हो
और सब से बाते करते हो,
मैं ओट से पर्दे की जनाह
बस तूम को देखती रहती हूं,
एक तूम को देखने की खातिर
मैं कितनी पागल होती हूं।।

जब दरवाजे पर दस्तक हो
या, घंटी फोन की बजती हो,
मैं सब कुछ छोड़ के भागती हूं
और तूम को जो न पांउ तो
जी भर के रोने लगती हूं।।

मैं ऐसे मोहब्बत करती हूं
मेहफिल में कहीं जब जाना हो,
कपड़ों का सलेक्सन करना हो
रंग बहुत से सामने बिखरे हो,
उस रंग पे दिल आजाता है
वो रंग तूम को भाता है।

मैं ऐसे मोहब्बत करती हूं।।

रोजना अपने काॅलेज मैं
किसी और का लेक्चर सूनती हूए,
या ब्रेक के खली घंटे में
सखियों से बांते करते हूं,
मेरी जेहन में तूम आ जाते हो
मैं, मैं नहीं रहती जहां,
मैं तूम में गुम हो जाती हूं
इन आंखो में खो जाती हूं,
बस तूम में गुम हो जाती हूं।।

मैं ऐसे मोहब्बत करती हूं।।

जरा यह भी पढ़े