99वीं बसंत पंचमी पर्व मनाया, मॉ सरस्वती के  सामने बच्चो ने पकड़ी कलम

Basant Panchami festival celebrated

Basant Panchami festival celebrated

देहरादून| Basant Panchami festival celebrated वसंत सबसे मनचाहा मौसम है। जी हां बसंत आते ही आसमान से प्यार टपकता है। यौवन रंग पकड़ने लगता है, नौजवान दिल धड़कने लगते हैं, अपने प्रियतम से मिलने को विह्विल हो उठते हैं। 

आज शनिवार को बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर करनपुर बंगाली लाइब्रेरी देहरादून में स्थित  दुर्गा पूजा समिति द्वारा आयेजित बसंत पर्व में 99वीं मॉ सरस्वती पूजा विधिविधान व परांपरागत वैदिक मंत्रोच्चाण के साथ किया गया।

आज शनिवार को बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर करनपुर बंगाली लाइब्रेरी स्थित  देहरादून में  दुर्गा पूजा समिति द्वारा आयेजित बसंत पर्व में 99वीं मॉ सरस्वती पूजा विधिविधान व परांपरागत वैदिक मंत्रोच्चाण के साथ किया गया।

इस अवसर पर पूजा समिति के अध्यक्ष अलोक चक्रवर्ती ने बताया कि बंगाली लाइब्रेरी हर वर्ष के भांति इस वर्ष कोरोना की नियमो के ध्यान में रखते हुए 99वीं बसंत पंचमी पर्व मनाया गया।

जिसमें पंडित जी के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चाण के साथ मॉ सरस्वती देती की पूजा अर्चना कि गई। वही इसी के साथ पंडित जी के द्वारा 3 वर्ष की आयु के बच्चों को मॉ सरस्वती प्रतिमा के सामने बैठाकर कलम पकड़ कर लिखना सिखाया|

इस दौरान आलोक चक्रवर्ती ने कहा कि मॉ सरस्पती माता विद्या की देवी है। मॉ के एक हाथ में पुस्तक, संदेश देती है कि हमारा लगाव पुस्तकों के प्रति, साहित्य के प्रति हो। विद्यार्थी कभी पुस्तकों से अलग न हों, भौतिक रूप से भले ही कभी किताबों से दूर रहें। वसंत पंचमी के दिन पेन, किताबों और वाद्य यंत्रो की पूजा की जाती है।

लेकिन हमेशा मानसिक रूप से किताबों के साथ रहें। वही, मां सरस्वती हमेशा सफेद वस्त्रों में होती हैं। इसके दो संकेत हैं पहला हमारा ज्ञान निर्मल होए विकृत न हो। जो भी ज्ञान अर्जित करें वह सकारात्मक हो।

सबका मंगल हो, सबका कल्याण हो, यही कामना है

दूसरा संकेत हमारे चरित्र को लेकर है। विद्यार्थी जीवन में कोई दुर्गुण हमारे चरित्र में न हो। वह एकदम साफ हो। ज्ञान, कला व संगीत की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती आपके जीवन में सुख, समृद्धि और वैभव की वर्षा करे। सबका मंगल हो, सबका कल्याण हो, यही कामना है।

वही इस शुभ अवसर पर समिति के सभी पदाधिकारीगण जिसमें सीडी बैनेर्जी, अरूण चर्टर्जी, दलीपदास, अभिजीत दास व सैकड़ो श्रद्धालु ने मॉ सरस्वती देवी का आर्शिवाद प्राप्त किया और साथ ही भोग प्रसाद ग्रहण किया। वही शाम को सांध्या पूजा व आरती की गई।

वही इस दौरान  हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि शनिवार पांच फरवरी को ज्ञान की देवी मां सरस्वती का प्राकट्य दिवस मनाया जाएगा। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण संगीत की देवी के जन्मोत्सव को भी वसंत पंचमी के रूप में मनाया जाता है।

वसंत पंचमी पर वाग्देवी सरस्वती को पीले रंग के वस्त्र पहनकर मीठे चावल, बेसन के लड्डू, केसर युक्त खीर का भोग लगाना अत्यंत पुण्यकारी है। इस दिन स्त्रियां पीले वस्त्र पहनकर वसंत पंचमी का स्वागत करती हैं। कहा जाता है कि यह रंग शुद्धि सात्विकता का प्रतीक है।  

खासतौर पर यह दिन शिक्षा एवं कला से जुड़े हुए लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है इसलिए यह दिन नई विधा, कला, संगीत आदि सीखने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहन कर और माथे पर पीले रंग का तिलक लगाकर सरस्वती मां की पूजा का विधान है।

जरा इसे भी पढ़े

कांग्रेस प्रत्याशी आर्येन्द्र शर्मा पहुंचे जनता के बीच
महिला डॉक्टर ने पति के खिलाफ दर्ज कराया उत्पीड़न का मुकदमा
कैंट की आंतरिक सड़कों के लिए बनेगा मास्टर प्लान : धस्माना