दुनियाभर के चित्रकारों की पेंटिंग्स में दिखेगी कुसुम की पेंटिंग

Artist Kusum Pandey
दुनियाभर के चित्रकारों की पेंटिंग्स में दिखेगी कुसुम की पेंटिंग Artist Kusum Pandey

हल्द्वानी । देशभर में दृश्य कला की चर्चित कलाकार कुसुम पांडे (Artist Kusum Pandey) ने पेंटिंग में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। कुसम की उत्तराखंड वू-मैन विद नेचर शीर्षक वाली जिंक प्लेट पर उकेर कर बनाई गई पेंटिंग राष्ट्रीय ललित कला अकादमी को इस कदर भाई कि उसने अपने अगले माह दुनियाभर के चित्रकारों की पेंटिंग बिनाले-2018 के आयोजन के लिए इसे चुन लिया है। दुनियाभर के चित्रकारों की पेंटिंग्स इस प्रतियोगिता में प्रदर्शित की जाएंगी।

इन चित्रकारों की पेंटिंग के साथ ही अपनी हल्द्वानी की कुसुम की पेंटिंग भी प्रदर्शित की जाएगी। हल्द्वानी तीनपानी की रहने वाली कुसुम पांडे ने पेंटिंग की ही एक विधादृश्यकला में आज एक बड़ा मुकाम बना लिया है। कुसुम की शुरूआती पढ़ाई-लिखाई हल्द्वानी में ही हुई। बचपन से ही कुसुम को खेत, पहाड़, बादल और श्रम करती पहाड़ की स्त्री लुभाते रहे हैं। यहीं से उसमें कला का बीज पनपा और बाद में देश का एक बड़ा चित्रकार बनने की तमन्ना लेकर वह एशिया के सबसे बड़े फाइन आर्ट कालेज में शुमार होने वाले छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ स्थित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय पहुंची।

वहां से उसने 2011-2015 के बीच बीएफए की डिग्री ली। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के कालेज आफ आर्ट से 2015-2017 तक एमएफए की डिग्री ली। कुसुम ने पेंटिंग की दृश्यकला विधा में निपुणता हासिल की। इसके अलावा उसे चित्रकला, मूर्तिकला और विभिन्न प्रकार के क्राफ्ट में भी रुचि है। कुसुम ने दृश्यकला विधा के बारे में बताया कि इसमें निपुण कोई कलाकार अपनी रचनाशीलता को किसी सरफेस, जैसे जिंक, कापर प्लेट, स्टोन (लिथोग्राफी) पर ड्राइंग करके उन्हें उकेरता है। अपनी थीम को उकेरने के बाद वह विभिन्न रसायनिक अम्लों के प्रयोग व अन्य विधियों से ब्लाक बनाता है और फिर उनके प्रिंट पेपर कपड़े पर लिए जाते हैं।

Artist Kusum Pandey अपने काम या पेंटिंग की अनेकों प्रतिलिपि निकाल सकती 

इस प्रकास से वह अपने काम या पेंटिंग की अनेकों प्रतिलिपि निकाल सकती हैं। यह पूरी तरह एक मैनुअल प्रक्रिया है। यह दृश्यकला की एक प्रमुख विधा है। जिस विधा में उसने निपुणता हासिल की है उसके अनेक माध्यम हैं। एचिंग, लिथोग्राफी, सैरीग्राफी और वुडकट आदि। स्त्री और प्रकृति कुसुम की पेंटिंग का प्रिय विषय रहा है। कुसुम बताती है कि उसे उत्तराखंड की संस्कृति हमेशा आकर्षित करती रही है। यहां के गांव और वहां की औरतों के दैनिक जीवन के क्रियाकलाप, सुंदर वेशभूषा, आभूषण, लोककला व सांस्कृतिक जीवन उसे बेहद आकर्षित करते हैं।

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उसका मन इन सबमें रमता है। इसी थीम को विकसित करते हुए उसने एक पहाड़ की स्त्री के जीवन के सभी पहलुओं को बेहद खूबसूरती से उकेरा है। इसमें किसी कलाकार को पहाड़ का ग्राम्य जीवन नजर आएगा तो वहां की स्त्री की पारंपरिक वेशभूषा और कुदरती सौंदर्य की झलकियां साथ-साथ देखने को मिलेंगी। इस पेंटिंग की एक सबसे अहम बात यह है कि इसमें पहाड़ की एक स्त्री मशरूम पर खड़ी है। राष्ट्रीय ललित कला अकादमी के रवीन्द्र भवन में अगले माह हफ्ते भर के लिए दुनिया भर के कलाकारों की पेटिंग प्रदर्शित की जाएगी।

इसमें अमेरिका, जापान, जर्मनी, इंग्लेंड और बांग्लादेश समेत दुनियाभर के कई मुल्कों के कलाकार भाग लेंगे। उनकी पेंटिंग्स रवीन्द्र भवन में प्रदर्शित की जाएगी। इन्हीं कलाकारों की पेंटिंग के बीच हल्द्वानी की कुसुम पांडे की पेंटिंग भी प्रदर्शित की जाएगी। कुसुम ने बताया कि उसकी पेंटिंग्स दुबई, नार्वे समेत तमाम मुल्कों में सराही गई हैं। देश भर में उसकी पेंटिंग्स काफी चर्चित हो चुकी हैं। कुसुम की इस पेंटिंग का चयन पेंटिंग्स की अंतर्राष्ट्रीय ज्यूरी ने राष्ट्रीय ललित कला अकादमी के लिए चुनी हैं। ज्यूरी में अनुपम सूद, आनंद माय बनर्जी, दत्तात्रेय आप्टे, आरएस श्याम सुंदर, पौला सेनगुप्ता और विजय बगोड़ी जैसे चर्चित चित्रकार शामिल रहे।

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