Appeal for brotherhood on Eid ul adha
शहर काज़ी से लेकर जमीअत उलेमा-ए-हिन्द के पदाधिकारियों तक ने दी अहम हिदायतें
देहरादून। Appeal for brotherhood on Eid ul adha देशभर में कल (आज) ईद-उल-अजहा (बकरीद) का पर्व अकीदत, त्याग और एकजुटता के पैग़ाम के साथ मनाया जाएगा। इस मौके पर देहरादून के शहर काज़ी मौलाना मोहम्मद अहमद कासमी सहित कई इस्लामी धर्मगुरुओं ने मुस्लिम समुदाय से सादगी के साथ ईद मनाने, साफ-सफाई रखने, शांति और प्रशासनिक नियमों का पालन करने की अपील की है।
शहर काज़ी मौलाना मोहम्मद अहमद कासमी की अपील
शहर काज़ी ने कहा कि “ईद-उल-अजहा सिर्फ कुर्बानी का पर्व नहीं है, बल्कि यह खुदा के हुक्म के आगे सिर झुकाने की निशानी है। मुसलमानों को चाहिए कि वे कुर्बानी के साथ-साथ सफाई का खास ख्याल रखें। कुर्बानी के अवशेष खुले में न फेंके, उन्हें ढंक कर निर्धारित स्थान पर रखें और नगर निगम की और से निर्धारित नियमों का पालन करें।” उन्होंने यह भी कहा कि कुर्बानी का मक़सद दिखावा नहीं, बल्कि अल्लाह की रज़ा हासिल करना है। इसलिए सादगी और संयम से त्योहार मनाएं।
त्योहार के दौरान किसी की धार्मिक भावना आहत न होः जमीअत
ईद-उल-अजहा इस्लाम के सबसे पाक और पवित्र त्योहारों में से एक है। यह हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की कुर्बानी की याद दिलाता है। हमें चाहिए कि हम उनके आदर्शों पर चलते हुए अपने समाज में एकता, सेवा और त्याग की भावना को बढ़ाएं। उन्होंने लोगों से अपील की कि त्योहार के दौरान किसी की धार्मिक भावना आहत न हो, इसका भी ख्याल रखा जाए।
बुरी आदतों का भी करे त्यागः अब्दुल मन्नान
यह पर्व सिर्फ जानवर की कुर्बानी तक सीमित नहीं है, बल्कि अपनी बुरी आदतों और नफ्स की कुर्बानी देने का नाम है। समाज को स्वच्छ, शांतिपूर्ण और भाईचारे वाला बनाए रखना भी एक बड़ी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से युवा वर्ग को चाहिए कि वे सोशल मीडिया पर जिम्मेदार व्यवहार करें और कोई आपत्तिजनक कंटेंट पोस्ट न करें।
इस्लामी तरीके से करे कुर्बानीः मुफ़्ती रईस अहमद कासमी
ईद-उल-अजहा हमें यह सिखाती है कि खुदा की राह में किसी भी चीज़ की कुर्बानी देने से पीछे नहीं हटना चाहिए। लेकिन इसके साथ हमें यह भी देखना है कि हम अपने समाज, अपने मोहल्ले और आसपास के लोगों की भावनाओं का भी सम्मान करें। उन्होंने लोगों से कहा कि कुर्बानी पूरी तरह इस्लामी तरीके से करें और उन जानवरों की कुर्बानी करें जिनकी शरई उम्र पूरी हो चुकी हो।
ईद-उल-अजहा और कुर्बानी का महत्व
ईद-उल-अजहा, जिसे बकरीद भी कहा जाता है, इस्लाम धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह हज़रत इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) द्वारा अपने बेटे हज़रत इस्माईल (अलैहिस्सलाम) की कुर्बानी देने की इच्छा और अल्लाह की आज्ञा का पालन करने की घटना की याद में मनाया जाता है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि अल्लाह की राह में सब कुछ न्योछावर किया जा सकता है। इस दिन मुसलमान ईद की नमाज अदा करते हैं और फिर कुर्बानी देते हैं। कुर्बानी का मांस तीन हिस्सों में बांटा जाता है, एक हिस्सा गरीबों में, एक रिश्तेदारों में और एक अपने परिवार के लिए।
प्रशासन की अपील और तैयारी
नगर निगम, पुलिस प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने भी शहरवासियों से अपील की है कि वे सफाई में सहयोग करें और किसी भी प्रकार की अव्यवस्था या कानून उल्लंघन से बचें। कुर्बानी के बाद अवशेषों के निस्तारण के लिए विशेष वाहन लगाए गए हैं। त्योहार के मौके पर सभी धर्मगुरुओं और प्रशासन ने मिलकर लोगों से शांति, सौहार्द और सफाई बनाए रखने की अपील की है।
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