जानिए महिलाएं कैसे बनती है नागा साधु

Women naga sadhu

आपने नागा साधुओं के बारे में बहुत सुना होगा कि ये किस तरह से रहते हैं किस तरह से खाते-पीते हैं लेकिन क्या आप ने कभी महिला नागा साधुओं की रहस्मय दुनिया के बारे में जानने की कोशिश की है? महिला नागा साधुओं की दुनिया भी काफी रोचक है और यह कहना गलत नहीं है कि महिला साधुओं का भी अस्तित्व है। महिला नागा साधु बनने से पहले उन्हे 6 से 12 वर्ष तक कठिन ब्रह्मचरिए का पालन करना होता है जिसके बाद अगर गुरू उस महिला के ब्रह्मचरिए से संतुष्ट हो जाते हैं कि महिला नागा ब्रह्मचरिए का पालन कर सकती हैं, तो उसे दीक्षा देते हैं। महिला नागा साधु बनाने से पहले अखाड़े के साधु-संत महिला के घर-परिवार और पिछले जीवन की जांच-पड़ताल करते हैं।
जरा इसे भी पढ़ें : जानिए क्या है रक्षाबंधन का इतिहास, किसने बांधी सबसे पहली राखी

महिला को भी नागा साधु बनने से पहले स्वयं का पिंड दान और तर्पण करना होता है। जिस अखाड़े से महिला दीक्षा लेना चाहती है उसके आचार्य महामंडेल्श्वर ही उसे दीक्षा देते हैं। महिला को नागा साधु बनाने से पहले मुंडन होता है, और नदी या गंगा में स्नान करवाया जाता है। महिला नागा सन्यासीन पूरे दिन भगवान का जप करती हैं। सुबह ब्रहममुहर्त में उठना होता है। इसके बाद नित्यकर्म के बाद वह शिवजी का जप करती हैं।  दोपहर में भोजन करती हैं। और फिर से शिव जी का जप करती हैं। शाम को दत्ता गृह भगवान की पूजा करती हैं, और उसके बाद शयन।
जरा इसे भी पढ़ें : 7 चक्रों का रहस्य और इनके फायदे

सिंहस्त और कुंभ में नागा साधुओं के साथ ही महिला नागा सन्यासीन भी शाही स्नान करती हैं। अखाड़े में महिला संन्यासीन को पूरा सम्मान दिया जाता है। जब महिला नागा सन्यासीन बन जाती हैं तो अखाड़े के सभी साधु-संत इन्हे माता कह कर संबोधित करते हैं। सन्यासीन बनने से पहले महिला को यह साबित करना होता है कि उसका परिवार और समाज से कोई मोह नहीं है। वह सिर्फ भगवान की भक्ति करना चाहती है। जब इस बात की संतुष्टी अखाड़े के साधु-संतों को हो जाती है तभी वह महिला सन्यासीन को दीक्षा देते हैं।
जरा इसे भी पढ़ें : भारतीय हिन्दू समाज का कास्ट सिस्टम, नहीं जानतें तो ज़रूर पढ़े