कोसी नदी के उद्गम स्थल का डीएम ने किया निरीक्षण

कोसी नदी का निरीक्षण करते हुए डीएम।

अल्मोड़ा। कोसी नदी के घटते जलस्तर एवं नदी को पुर्नजिवित करने के लिए शासन-प्रशासन के साथ-साथ स्थानीय लोगों की सहभागिता एवं जनजागरूता को प्राथमिकता देनी होगी यह बात जिलाधिकारी सविन बंसल ने आज चनौदा के समीप ल्वेशाल में जो कोसी नदी का उद्गम स्थल है, का निरीक्षण के दौरान कही। उन्होंने कहा कि कोसी एवं इसकी सहायक नदियों का जलस्तर निरन्तर कम हो रहा है जो एक चिन्ता का विषय इस बात को ध्यान में रखते हुए कुमाऊ विश्वविद्यालय परिसर अल्मोड़ा एवं गोविन्द बल्लभ पंत पर्यावरण संस्थान कोसी के वैज्ञानिकों एवं विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं का सहयोग लेकर इसके जलस्तर को बढ़ाने के प्रयास किये जायेंगे।

जिलाधिकारी ने कहा कि इसमें राज्य योजना से मनरेगा एवं वन विभाग सहित अन्य विभागों के सहयोग से चाल-खाल, खन्तिया आदि बनाये जायेंगे जिससे वर्षा के जल को जमीन के अन्दर अधिक से अधिक अवशोषित किया जा सके। उन्होंने स्थानीय लोगों से अपील की, कि वे इस कार्य में बढ़चढ कर भाग लें ताकि नदियों के घटते जलस्तर को बढ़ाया जा सके साथ ही आने वाली पीढ़ी के लिए हम जल संररक्षण का कार्य कर सकें। जिलाधिकारी ने कहा कि जनपद में ऐसे बहुत से स्थान है जहाॅ पर नदियों के जलस्तर को बढ़ाये जाने की जरूरत है जिसकी शुरूआत आज कोसी नदी से होने जा रही है।

उन्होंने कहा कि गगास नदी को पुर्नजिवित करने के लिए स्थानीय लोगों द्वारा स्वतः स्र्फूत भावना से जो कार्य किया जा रहा है व अनुकरणीय है। जिलाधिकारी ने कहा कि इस कार्य के लिए वन विभाग सहित जल निगमध्जल संस्थान, सिंचाई, कृषि एवं उद्यान सहित अन्य विभागों का भी सहयोग लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण एवं जलस सवर्द्धन के लिए स्थानीय लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ भवनांे पर रेन वाटर हारवेस्टिंग टैंक बनाने के लिए प्रेरित् किया जायेगा। इस अवसर पर उन्होंने सहायक नदियों में छोटे-छोटे तटबन्ध बनाने की बात कही और ग्रामीण क्षेत्रों में धारे-नौलों को पुर्नजिवित करने के लिए एक अभियान चलाने को कहा। जिलाधिकारी के साथ गये कुमाऊ विश्वविद्यालय परिसर अल्मोड़ा के प्रो0 डा0 जे0एस0 रावत ने कहा कि उन्होंने नदी को पुर्नजिवित करने की कार्य योजना पर कार्य प्रारम्भ कर लिया है। उन्होंने कहा कि इसे बचाने के लिए नदी के उदगम स्थल के लगभग 200 मी0 परिधि में झाडियाॅ, कुंज एवं नैपियर की घास लगायी जायेगी।

उन्होंने कहा कि बाॅज के जंगल इसके लिए उपयुक्त साबित हो सकते है अतः इस क्षेत्र में ग्रामीणों की मदद से वनीकरण को बढ़ावा देना होगा। प्रो0 रावत ने कहा कि वर्षा के जल को धरती के अन्दर पहुॅचाना हमारी प्राथमिकता होगी जिसके लिए वन विभाग के अधिकारियों को पूर्ण मनोयोग से कार्य करना होगा इसके साथ ही पानी के रिचार्ज को बढ़ाना एवं इसके यांत्रिक ट्रीटमेंट की भी जरूरत है। निरीक्षण के दौरान लोक विकास संस्था के डा0 रवि चैपड़ा, जी0बी0 पंत के वरिष्ठ वैज्ञानिक क्रिरीट कुमार, डी0एफ0ओ0 एस0आर0 प्रजापति, लक्ष्मी आश्रम की नीमा, डेविड भाई, दयाकृष्ण काण्डपाल, पी0सी0 तिवारी, सहित अन्य लोगों ने अपने विचार रखते हुए कहा कि इस कार्य में स्थानीय लोगों का महत्वपूर्ण स्थान होगा इसके लिए उन्हें जागरूक किया जाना आवश्यक होगा। इस दौरान उपजिलाधिकारी विवेक राय,  तहसीलदार खुशबू आर्या, मुख्य कृषि अधिकारी प्रियंका सिंह, उद्यान अधिकारी भावना जोशी, अधीशासी अभियन्ता सिंचाई नवीन सिघंल, अधीशासी अभियन्ता लघुडाल नेबू लाल सहित अन्य लोग उपस्थित थे।