जाने डायन कैसे करती हैं काला जादू

Kala Jadu
जाने डायन कैसे करती हैं Kala Jadu

जो भी व्यक्ति Kala Jadu का प्रयोग करता है, उसे डायन कहा जाता था, लेकिन इस शब्द का प्रयोग केवल स्त्रियों के लिए होने लगा। अतः आजकल सर्वसाधारण जनता के द्वारा डायन शब्द का व्यवहार उस स्त्री के लिए किया जाता है, जो अपने जादू के प्रभाव से किसी व्यक्ति का उत्पीड़ित करने का प्रयास करती है। डायन की कला में विश्वास की परंपरा उन जातियों में अधिक प्रचलित है जो असभ्य, असंस्कृत और अशिक्षित है, इसलिए कबीलाई समुदाय, संथाल तथा थारु समुदाय इनमे अधिक विश्वास रखते हैं।

यह प्रथा आदिवासियों में भी प्रचलित है, जो खानाबदोश जीवन व्यतीत करते हैं। ऐसी जातियों में  नट और कंजर आदि अधिक प्रसिद्ध है, इसलिए यूरोप में जादू टोना करना मानव को वश में कर लेना माना गया और प्रेम पैदा करने की कला रोमानी लोगों में सबसे अधिक प्रचलित है, जो घुमंतू जीवन व्यतीत करते हैं। किसी व्यक्ति के डायन होने का विश्वास अनेक कारणों से उत्पन्न होता है।

यदि कोई व्यक्ति अमंगल कारक भविष्यवाणी को सच्ची करता है, किसी भयंकर रोग को मंत्र-तंत्र के द्वारा शांत कर देता है, यह दुष्ट आत्माओं को अपने वश में कर लेता है तब इस अलौकिक शक्ति संपनता के कारण लोग उसे डायन समझने लगते हैं। पुरुष भी जादू टोना ( Kala Jadu ) करने में सफल होते हैं परंतु इस कला की अधिष्ठात्री देवता केवल स्त्रियां ही समझी जाती हैं।

डायन की आकृति

डायनों की एक विशेष आकृति और वेशभूषा होती है जिनके द्वारा उन्हें पहचानने में कठिनाई होती है। गांव में किसी स्त्री के रूप- रंग और परिधान को ही देख कर लोग पहचान जाते हैं कि यह डायन है। डायनों की आकृति बड़ी घृणास्पद होती है। उनकी आंखों में जीवन की ज्योति का प्रकाश नहीं दिखाई देता और उनकी नाक या कान चपटी होती है का उनकी दोनो भोहें आपस में जुडी रहती हैं, उनके लबे आपस में खुले हुए और मोटे दांतो का समूह होठों में आगे निकला हुआ लंबी गर्दन लंबी या लटकते हुए स्तन, बढ़ा पेट, चौड़े तथा लंबे पैर होते हैं।




ऐसा ज्ञात होता है कि ब्रह्मा ने अपनी मानव निर्माण के समस्त कलायें इस भयंकर काली-कलूटी तथा बदसूरत जीव को बनाने में खर्च कर दी हो। डायन मनुष्य के मांस का भक्षण कर अपनी शक्ति को प्राप्त करती है। यह तंत्र- मंत्रों के द्वारा अपने काले जादू का प्रभाव दूसरे लोगों पर डालती है और उन्हें अपने वश में कर लेते हैं। प्रतिकृति ( व्यक्ति का नमूना ) में वह डायन कीले और आलपिनचुभाती है। ऐसा माना जाता है कि इनको आटे की मूर्तियों में चुभा देने से असली व्यक्ति को बहुत कष्ट होता है और अंत में वह मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।

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बंगाल में श्मशान में प्राप्त किसी बांस को लेकर उससे तीर और धनुष बनाया जाता है और बनाते समय मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। इसके बाद मिट्टी के डले से शत्रु की मानव की आकृति बनाकर उसे पर मंत्र पढ़े जाते है, और उस आकृति में तीर भेदे जाते हैं। इस प्रकार जिस मनुष्य की प्रतिमा का अध्ययन किया जाता है, उसके हृदय में शीघ्र ही दर्द उत्पन्न हो जाता है, उसके मानव की प्रतिकृति उपलब्ध है, जिनके शरीर में कांटा चुभ गया है यह प्रतिक्रिया इस विश्वास का ज्वलंत उदाहरण है।