ब्रेकिंग न्यूज़ : एमडीडीए की सांठगांठ से अवैध कार्य हो रहे वैध

Illegal Construction being done legal
Illegal Construction being done legal

देहरादून। Illegal Construction being done legal एक बार फिर से मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की बड़ी लापरवाही सामने आई है और इस लापरवाही पर अगर संज्ञान नही लिया गया तो इसमें कई लोगों की जान भी जा सकती है, वैसे तो अवैध रूप से हो रहे अतिक्रमण को रोकने के लिए शासन प्रशासन का डंडा पूरे शहर भर में चला और लोगों के ठीयेे-ठिकाने हटाकर प्रशासन अधिकारियों ने अपनी पीठ खूब थपथपाई, पर क्या शासन और प्रशासन का डंडा सिर्फ उन गरीब जनता के लिए ही है या ऐसे बड़े बिल्डरों के लिए भी जो नियमों को ताक पर रखकर काम करते हैं।

अवैध काम को वैध कैसे किया जाए ? कैसे नियम कानून के साथ खेला जाए ?, इन बिल्डरों को अच्छे से पता है। क्योंकि सिस्टम पर भारी सिस्टम के भ्रष्ट अधिकारी ही होते है। इसलिए इन बिल्डरों के खिलाफ अधिकारी आखिर क्यों आंखें मूंदे बैठे हैं? इनकी इन मुंदी आंखों की मंशा साफ दिखाई पड़ती है। जब तक सिंघासन पर बैठे है तब तक अपनी जेबें भरना ।यही एक वजह है जो इन्हें कार्यवाही करने से रोकती है, यह चिंता का विषय भी है।

बात यहां एमडीडीए विभाग की हो रही है, एमडीडीए विभाग का निर्माण इस उद्देश्य के साथ हुआ था कि, शहर में हो रहे अवैध तरीके से निर्माण कार्य न हो सके, एक सोची समझी रणनीति के तहत शहर में सही तरीके से कार्य हो और एक सिस्टमेटिक तरीके से शहर को बसाया जा सके, जिससे भविष्य में शहर को सुचारू रूप से चलाया जा सके।

बहु मंजिला इमारत वैध हो जातें हैं

भविष्य में कोई बड़ी अनहोनी न हो, पर उस समय यह समझ से परे हो जाता है कि, कौन सी ऐसी प्रौद्योगिकी एमडीडीए इंजीनियरों के पास आ जाती है। जहां पर पर्वर्तीय क्षेत्र, मैदानी क्षेत्र में आ जाते हैं। और बड़े-बड़े बहु मंजिला इमारत अंदर की सांठ-गांठ से वैध हो जातें हैं।

जहां एमडीडीए विभाग के मापदंड यह साफ कहते हैं कि पर्वतीय क्षेत्र में भवन की ऊंचाई 12 मीटर तक वह मैदानी क्षेत्रो में 18 मीटर तक की रोड पर यह अधिकतम 9 मंजिला व 30 मीटर हो सकती है और साथ ही साथ ऐसे स्थलों पर भवन निर्माण नहीं किया जा सकता जिसमें भूस्खलन की तीव्रता अत्याधिक व निरंतर संभावित हो, तथा उस स्थल की स्थानीय ढाल 30 अंश से अधिक हो।

ऐसा ही एक मामला सहस्त्रधारा रोड स्थित पेसिफिक गोल्फ स्टेट का सामने आया है। जहां तकरीबन 10 से 12 मंजिला इमारत का कार्य ऐसे मैदानी क्षेत्र में तैयार हो रहा है जो हमारी आँखों से पर्वतीय क्षेत्र नजर आ रहा है और फाइलों में मैदानी क्षेत्र नजर आ रहा है। वैसे तो साक्षात को प्रमाण की जरूरत नहीं होती। लेकिन फिर भी कैसे सिर्फ थोड़े पैसों की खातिर विभाग द्वारा ऐसे स्थानों पर भी नक्शे पास कर दिए जाते है।

बिल्डरों को जबरदस्ती पुस्ते लगाकर रोकना पड़ता है

जहाँ लगातार बरसातों में भूस्खलन होता रहता है। भूस्खलन की वजह से कई बार उस जगह पर वाहनों की आवाजाही भी रुक जाती है। ऐसे भूस्खलनों को बिल्डरों को जबरदस्ती पुस्ते लगाकर रोकना पड़ता है। जो भविष्य में कभी भी किसी भी प्रकार की भारी अनहोनी का शिकार हो सकता है। सैकड़ों लोगों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है और ऐसे भवनों को भी एमडीडीए द्वारा इजाजत दे दी जा रही है, जो भविष्य में एक बड़ी दुर्घटना का सबब बन सकती है।

अगर भविष्य में इस ईमारत के द्वारा कोई बड़ी अनहोनी जनता के साथ होती है तो कौन इसका जिम्मेदार होगा? क्या वो बिल्डर जो इस बिल्डिंग का निर्माण कर रहे है? या एमडीडीए के वो अधिकारी जिन्होंने इसको मंजूरी दी? या फिर डबल इंजन की सरकार जिसने विभागों में ऐसे भ्रष्ट अधिकारी बैठा रखें है, जो अनहोनी के स्वागत के लिए ऐसे बिल्डरों की मदद करते है। हाल-फिलहाल टाईम विटनेस ने एमडीडीए के अधिकारी से इस मामले में संज्ञान लिया तो वह भी इस मामले पर लीपा-पोती ही करते नजर आये।


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