सेहत के लिए फायदेमंद है यह योगासन

Yoga Asanas
सेहत के लिए फायदेमंद है यह Yoga Asanas

आसन व्यक्ति के मन मस्तिष्क को शांति देता है , मन में एकाग्रता लाता है और शरीर चुस्त और तंदुरुस्त बनाता है आज हम आपको कुछ आसन ( Yoga Asanas ) बताने जा रहे हैं।

उत्तानपादासन (Uttanpadasana)

Uttanpadasana

उत्थान का अर्थ है उठा हुआ तथा पाद का अर्थ है पैर। इस आसन में पैरों को उठाना होता है इसलिए इस Yoga Asanas को उत्तानपादासन कहते हैं।

इसे करने की विधि

1-भूमि पर पीठ के बल लेट जाएं तथा दोनों पैरों को आपस में मिला ले।

2-हथेलियों को जमीन पर रखें।

3- श्वास लेते हुए दोनों पैरों को 30 डिग्री पर भूमि से ऊपर उठा लें।

4- यथाशक्ति ऐसी स्थिति में रहे विश्वास करते हुए वापस आ जाएं।

सावधानी

1-दोनों टांगों के घुटनों को सीधा रखिए।

2- अपने सामर्थ्य के अनुसार भी दोनों पैरों को उठाएं ।यदि समस्या ना हो तो पहले एक ही पैर को उठाएं।

इससे लाभ

1-यह आसन पेट की मांसपेशियों को शक्ति प्रदान करता है ।

2- जंघाओं तथा पेट की अतिरिक्त चर्बी को दूर करता है।

3-पेट के आंतरिक अंगों की मालिश करता है । अपच, कब्ज आदि रोगों को दूर करता है।

4-इसके अभ्यास से कमर के निचले भाग को शक्ति मिलती है।

हलासन ( Halasana )

halasana

इस आसन को करते समय शरीर की स्थिति हल के समान लगती हैं इसलिए शासन को हलासन कहते है।

कर्णपीड़ासन ( Karnapidasana )

karnapidasana

संस्कृत भाषा में कर्ण का अर्थ है कान तथा पीड़ का अर्थ है दबाना। इस आसन में दोनों कानों पर घुटनों द्वारा दबाव बनाया जाता है इसलिए इसे कर्णपीड़ासन कहते हैं।

इसे करने की विधि

1-सर्वप्रथम भूमि पर पीठ के बल लेट जाएं।

2-श्वास लेते हुए दोनों पैरों को 45 डिग्री फिर 90 डिग्री तथा अंत में धीरे धीरे गर्दन के पीछे भूमि पर टिका दें।

3-प्रश्वास करें तथा घुटनों को मोड़कर दोनों कानों के पास ठिका दे।

4-दोनों हथेलियों को आपस में गुठली यथासंभव आसन में रुकने का प्रयास करें।

5-सांस लेते हुए धीरे-धीरे अपनी स्थिति में वापस आ जाएं।

इस आसन में कुछ सावधानियां बरतनी होती है जैसे

1-घुटनों को कानों के पास लगाते समय जबरदस्ती ना करें।

2-मेरुदंड के किसी विकार में इस आसन का अभ्यास ना करें।

3-मासिक स्त्राव होने पर भी इस आसन का अभ्यास ना करें।

इससे होने वाले लाभ

1-आसन  से शरीर के ऊपरी भाग में रक्त संचार बढ़ता है।

2-यह आसन मानसिक रोगों में अत्यंत लाभकारी है।

3-यह मेरुदंड को लचीला बनाता है।

4-विशेषकर करण संबंधी रोगों में बहुत लाभ पहुंचाता है।

5-यह आसन पेट तथा पीठ में जमी हुई अतिरिक्त चर्बी को घटाता है।

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