कैबिनेट मंत्री यशपाल समेत कई कांग्रेसी भाजपा में शामिल

कांग्रेस को जबरदस्त झटका दिया भाजपा के रणनीतिकारों ने
यशपाल नैनीताल से तो संजीव बाजपुर से लड़ सकते हैं चुनाव

देहरादून,। उत्तराखंड में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है, क्योंकि सरकार के केबिनेट मंत्री यशपाल आर्य, उनके पुत्र एवं उत्तराखंड सहकारी बैंक के चेयरमैन संजीव आर्य एवं कांग्रेस के पूर्व विधायक केदार सिंह रावत (सुरक्षित सीट) कांग्रेस को बाय बाय करके भाजपा में शामिल हो गए। सूत्रों की मानें तो संजीव आर्य बाजपुर सुरक्षित सीट और यशपाल आर्य नैनीताल (सुरक्षित सीट) से चुनाव लड़ेंगे। यशपाल आर्य कांग्रेस का दलित चेहरा माने जाते हैं। ऐन वक्त पर कांग्रेस को यह बड़ा झटका लगा है। श्री आर्य के भाजपा में जाने से कांग्रेस के राजनीतिक समीकरण गड़बड़ा जाएंगे। भाजपा को एक मजबूत  यूं तो मार्च में जब सरकार के खिलाफ बगावत हुई थी।

उसी वक्त यशपाल आर्य बागियों की रणनीति में साथ थे, लेकिन ऐन वक्त पर उन्होंने बागियों का साथ नहीं देकर कांग्रेस की सरकार बचा ली थी। हालांकि उसके बाद से लगातार वह भाजपा के संपर्क में थे। काशीपुर की रैली में जिस तरह वह नाराज हुए, उसी वक्त यह संकेत मिलने लगे थे कि वह कांग्रेस को ऐन वक्त पर झटका दे सकते हैं। हालांकि चर्चाओं का बाजार काफी समय से गरम था, लेकिन अंतिम वक्त पर इन चर्चाओं पर मुहर लग गई। रविवार की रात को यशपाल आर्य दिल्ली पहुंचे। उनकी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात हुई। सोमवार को दिल्ली में भाजपा के कार्यालय पर श्री आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।

इसी के साथ यमनोत्री के पूर्व कांग्रेस विधायक केदार सिंह रावत ने भी भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, श्याम जाजू, अजय टम्टा, बीसी खंडूरी, भगत सिंह कोश्यारी आदि मौजूद थे। यशपाल आर्य के साथ दर्जा राज्यमंत्री हरेंद्र सिंह लाड़ी व उपेंद्र चैधरी भी भाजपा के कार्यालय में मौजूद थे। माना जा रहा है कि अब संजीव आर्य बाजपुर से और यशपाल आर्य नैनीताल से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। शामिल होने के बाद केबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि वह भारी मन से भाजपा में आए हैं। कहा कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह के वीजन से प्रभावित होकर उन्होंने कांग्रेस छोडने का मन बनाया। कहा कि पुरानी कांग्रेस और आज की कांग्रेस में बड़ा फर्क है। कहा कि 41 साल से कांग्रेस की सेवा करने के बाद भी उनकी उपेक्षा हो रही थी।