शायरी : मोहब्बत में धोख खाये लड़के की दिल की आवाज

मैने हक-ए-मोहब्बत अदा किया
न कभी किसी से गिला किया,
मुझे अजब इसका सिला मिला
मुझे दिल से उसने भुला दिया।

मोहब्बत की किताब का
हर एक हर्फ जला दिया,
वो जो आरजू का चिराग था
उसे नफरतों ने भुझा दिया।

मुझे जख्म फिर एक नया दिया
मुझे इस मोहब्बत ने क्या दिया?,
वो जो कहता था खुश रहो
वो जो कहना था जान जो तुम।

हर लम्हा हंसा करो
मुझे आज उसने रूला दिया,
मुझे आज उसने भुला दिया।।


मेरे अल्फाज को झूठा न समझना
याद आती हो बहुत मिलने की दुआ करना।
जी रहा हूं तुम्हारा नाम लेकर
मर जांउ तो बेवफा न समझना।।


एक मुलाकात थी जो दिल को सदा याद रही
मै जिसे उम्र समझता था वह एक पल निकला

बेवफा शायरी : क्या है वफा क्या बेवफा मालूम नहीं वो अपनी थी या पराई मालूम नहीं