बंगला देश में जो कुछ हुआ वह क्रूरता की पराकाष्ठा है, इसकी जितनी निंदा की जाए कम : मौलाना अरशद मदनी

What happened in Bangladesh is the epitome of cruelty

नई दिल्ली। What happened in Bangladesh is the epitome of cruelty जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने बंगला देश की घटना पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया वयक्त करते हुए कहा कि भीड़ द्वारा हिंसा में किसी को बेरहमी से मार देना केवल एक हत्या नहीं बल्कि क्रूरता की पराकाष्ठा है, इसकी जितनी निंदा की जाए कम है। बंगला देश में जो कुछ हुआ बहुत बुरा हुआ, इस्लाम इसकी कदापि अनुमति नहीं देता।

उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने ऐसा किया है उन्होंने इस्लामी शिक्षा का उल्लंघन ही नहीं यिया है बल्कि इस्लाम को बदनाम करने का काम किया है, इसलिए ऐसे लोगों को कड़ी से कड़ी सज़ा दी जानी चाहिए। मौलाना मदनी ने कहा कि राजनिति को चमकाने और सत्ता प्राप्त करने के लिए कुछ लोग धर्म का गलत इस्तिमाल कर रहे हैं, इससे धार्मिक कट्टरता में ख़तरनाक हद तक बढ़ौतरी हो रहा है, इसकी वजह से अल्पसंख्यक जहां भी हैं खुद को असुरक्षित समझने लगे हैं।

अभी क्रिसमिस के अवसर पर ईसाईयों के साथ अराजक तत्वों ने जो कुछ किया उसे कतई उचित नहीं ठहराया जा सकता। यह एक तरह से संविधान में नागरिकों को दी गई धार्मिक आज़ादी पर हमला है। दुख की बात तो यह है कि जगह-जगह चर्चों पर हमले हुए,, ईसाई लोगों को अपना त्योहार मनाने से रोकने का प्रयास किया गया मगर इन घटनाओं की न तो सरकार ने निंदा की और न ही उनके मंत्रीमण्डल के किसी साथी ने इस पर कोई बयान दिया। इस दोहरे मापदंड  को क्या नाम दिया जाए? उन्होंने स्पष्ट किया कि यह जो कुछ भी हो रहा है बंगला देश में हो, अपने देश में हो या फिर किसी अन्य देश में, इसके पीछे धार्मिक कट्टरता की ही मूल भूमिका है।

मौलाना मदनी ने कहा कि धार्मिक होना कदापि गलत नहीं है बल्कि हर व्यक्ति को अपने धर्म और इसकी शिक्षाओं का ईमानदारी से पालन करना चाहिए लेकिन जब इसमें कट्टरता आजाती है तो फिर लोग दूसरे धर्म को गलत समझने लगते हैं, टकराव की शुरूआत यहीं से होती है। उन्होंने कहा कि बंगला देश में जो हुआ उसकी देश भर में निंदा हो रही है। टीवी चैनलों से लेकर सोशल मीडीया तक इस घटना पर लोग अपने दुख प्रकट कर रहे हैं।

हम भी इस घटना की कड़ी निंदा करते हैं लेकिन इसका दूसरा दुखद पहलू यह है कि जब देश के अंदर इस प्रकार की घटनाएं होती हैं तो फिर यही लोग अपना मुंह बंद कर लेते हैं। माॅबलिंचिंग करके जब किसी निर्दोष को मौत के घाट उतार दिया जाता है तो पक्षपाती मीडीया को साँप सूंघ जाता है। बंगला देश में हुई घटना से कुछ पहले बिहार के नालंदा में कपड़े की फेरी लगाने वाले एक मुस्लिम युवक को कुछ लोगों ने नाम और धर्म पूछ कर इतनी बेरहमी से मारा कि उसने अस्पताल में दम तोड़ दिया।

दूसरी घटना केरल की है जहां छत्तीसगढ़ के एक दलित युवक को बंगला देशी कह कर मौत के घाट उतार दिया गया। इसके कुछ दिन बाद ही उडीशा में पश्चिमी बंगाल के तीन मुस्लिम मज़दूरों की मॉबलिंचिंग हुई जिसमें से एक मर गया और दो लोगों का अस्पताल में उपचार चल रहा हैं मगर दुख की बात तो यह है कि इन घटनाओं पर टीवी चैनलों द्वारा कोई बहस नहीं कराई जाती।

सवाल यह है कि जब देश में यह सब कुछ होता है तो हमारी मानवता कहा चली जाती है? क्या बंगला देश में जो खून बहा और भारत में निर्दोष लोगें का जो खून बहाया गया उसमें कोई अंतर है? उन्होंने कहा कि जब तक हम अपना दोहरा चरित्र ठीक नहीं करते मुआमले ठीक नहीं हो सकते। अगर हम खुद को सभ्य और न्यायप्रिय कहते हैं तो फिर हमें अपने चरित्र से भी उसे साबित करना होगा।

मौलाना मदनी ने कहा कि हम इस प्रकार की धार्मिक कट्टरता और इसके नतीजे में होने वाली घटनाओं की कड़ी निंदा करते हैं जो इंसान को इंसान न रहने दे बल्कि उसे जानवर बना दे। हम ऐसी मानसिकता को नकारते हैं, समय आ गया है कि एक राष्ट्र के रूप में हम अपने उत्तरदायित्व को समझें क्योंकि आक्रामक धार्मिक कट्टरता हमारी आपसी एकता, भाईचारा और एकजुठता को ही नुक़सान नहीं पहुंचा रही है बल्कि इससे पूरी दुनिया में देश की बदनामी हो रही है और इसकी साख को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है।

यह कोई अच्छा संकेत नहीं है, हमारा देश हमें बहुत प्रिय है, इसकी आज़ादी में हमारे बड़ों का बलिदान और उनका खून शामिल है। यह वह भारत कदापि नहीं जिसका सपना हमारे बड़ों ने देखा था इसलिए हम आँख बंद करके अपने देश को इस तरह बर्बाद होते नहीं देख सकते।

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