प्रकाश के कैनवास में झलकती है उत्तराखंड की लोक संस्कृति

अल्मोड़ा । सुप्रसिद्ध युवा चित्रकार व जीआईसी बंगोड़ा (रानीखेत) में कला शिक्षक के रूप में कार्यरत प्रकाश पपनै उत्तराखंड की लोक संस्कृति, तीज-त्योहार, धार्मिक मान्यताओं को बड़ी खूबसूरती से सहेजते हुए कैनवास में उकेर रहे हैं। इन दिनों वह उत्तराखंड की कला व संस्कृति पर एक कैनावास की एक सीरीज तैयार कर रहे हैं। जिसके तहत उन्होंने अब तक 100 कैनवास तैयार किये हैं। जिसमें उत्तराखंड की लोक संस्कृति को विविध रूपों में समाहीत किया गया है। गत दिनों आॅल इंडिया पफाइन आर्टस एंड क्राफ्रट्स सोसाइटी नई दिल्ली (आईफैक्स) में इनके मौजूदा चित्रों की प्रदर्शनी भी लगाई गई थी, जिन्हें कला प्रेमियों ने काफी पसंद भी किया। पपनै के एक कैनवास पर गौर करें तो, एक स्थान पर ऐंपण के माध्यम से हिमालय पर्वत व छोलिया नृतकों, राजजात यात्रा आदि को बड़ी ही खूबसूरती से समाहित किया गया है। यह एक नया प्रयोग है और कला प्रेमियों द्वारा खासा पसंद भी किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त इन्होंने ऐपण की कई चैकियों के चित्र भी तैयार किये हैं।

प्रकाश का कहना कि लोक कला की मौलिकता को कायम रखने का वह प्रयास कर रहे हैं, ताकि कैनवास बनाने की कला को एक नया आयाम मिल सके। उन्होंने बताया कि एक उम्दा कैनवास को तैयार करने में एक हफ्रते से 15 दिन तक लग जाते हैं। कांसेप्ट तैयार करने में अच्छा खासा समय लगता है। एक चित्र तैयार करने से पूर्व दर्जनों स्कैच बनाये जाते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी कई पेंटिंग अच्छी कीमतों में बिकी भी हैं। फिलहाल उनके तैयार कैनवास की कीमत 15 हजार से 65 हजार के बीच है। इस सीरीज में सबसे अधिक पेंटिंग बिकी हैं। इसके अलावा वह एपण, डिजास्टर आॅफ केदारनाथ, हिमालयन हिल आदि पर सीरीज तैयार कर चुके हैं। इसके अलावा प्रकाश बगैट (चीढ़ की छाल) का बेस (धरातल) के रूप में भी इस्तेमाल कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि बगैट पर कैनवास तैयार करना म्यूरल की तरह होता है, जहां चित्र उभरे हुए प्रतीत होते हैं और जीवंत दिखाई देते हैं। प्रकाश इससे पहले महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी रोहतक में पफैक्लटी के रूप में भी कार्य कर चुके हैं।दृश्य चित्र में हजारों रेखांकन का कार्य भी इनकी विशेषता रही है। उम्मीद है प्रकाश के माॅजूदा चित्रों की सीरीज भी कला प्रेमियों को बहुत पसंद आयेगी।