Uttarakhand is famous all over world for spirituality
दुनियां की अध्यात्मिक राजधानी बन सकता है उत्तराखण्ड : पीएम मोदी
देहरादून। Uttarakhand is famous all over world for spirituality उत्तराखंड राज्य की स्थापना के रजत जयंती समारोह में भाग लेने के लिए पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 9 नवंबर का यह दिन उत्तराखंड की जनता की लंबी मेहनत और संघर्ष का परिणाम है। यह दिन हर उत्तराखंडी के लिए गर्व का अवसर है। उन्होंने याद दिलाया कि उत्तराखंड की स्थापना का सपना वर्षों पहले देखा गया था और यह सपना अटल जी की सरकार के समय पूरा हुआ।
प्रधानमंत्री ने राज्य के विकास पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 25 साल पहले उत्तराखंड का बजट मात्र 4 हजार करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। बिजली उत्पादन चार गुना बढ़ा है और सड़कों की लंबाई दोगुनी हो गई है। पहले 6 महीने में लगभग 4,000 यात्री हवाई जहाज से आते थे, आज यह संख्या एक दिन में 4,000 से अधिक हो गई है।
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी का कुशल नेतृत्व में उत्तराखंड राज्य भारत देश तै 2047 तक विकसित देशों की लैंन म ल्यौण का वास्ता अपणु पुरु सहयोग दैलु, मितैं पुरु विश्वास च क वर्ष 2047 तक हमारू भारत विकसित देश बणलु। pic.twitter.com/fcdpPVdEQd
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) November 9, 2025
शिक्षा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय विकास हुआ है। पहले राज्य में केवल एक मेडिकल कॉलेज था, जबकि अब यहां 10 मेडिकल कॉलेज हैं। इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या 10 गुना बढ़ गई है। पीएम मोदी ने उत्तराखंड की आध्यात्मिक महत्व को भी उजागर किया। उन्होंने कहा कि देवभूमि गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ, जागेश्वर और आदि कैलाश जैसे तीर्थों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। हर साल लाखों श्रद्धालु इन पवित्र स्थलों की यात्रा करते हैं, जो न केवल भक्ति का मार्ग बनाती है, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देती है।
उन्होंने आगे कहा कि उत्तराखंड की असली ताकत उसकी आध्यात्मिक शक्ति में है। यदि राज्य ठान ले तो यह आने वाले कुछ वर्षों में दुनियां की अध्यात्मिक राजधानी के रूप में स्थापित हो सकता है। इसके लिए मंदिरों, आश्रमों और योग केंद्रों को वैश्विक स्तर से जोड़ा जा सकता है। प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल की दिशा में भी उत्तराखंड के योगदान को सराहा। उन्होंने कहा कि यहां की परंपरा में स्थानीय उत्पादों को अपनाना और उनका उपयोग करना शामिल है, जो राज्य की संस्कृति और विकास का अहम हिस्सा है।
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